Raipur. छत्तीसगढ़ में ईडी और आईटी की कार्रवाई पर कांग्रेस ने फिर हमला बोला है। इस बार कांग्रेस का कहना है कि आज जो कुछ भी कार्रवाई की जा रही है वह मनगढ़ंत है, इन आरोपों की पटकथा साल 2020 में ही लिख दी गई थी। जिसके बाद ये एजेंसियां चुनाव नजदीक आने का इंतजार कर रही थी। कांग्रेस ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में ईडी कार्रवाई से सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित हैं, केंद्र सरकार राजनीतिक साजिश कर रही है।
'सबूत पेश करने में असमर्थ रही आईटी'
रायपुर के राजीव भवन में कांग्रेस ने 2020 में पड़ी आईटी रेड का जिक्र करते हुए कहा है कि आज से करीबन 3 साल पहले 27-28 फरवरी को आईटी ने केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य के 28 लोगों पर छापामार कार्रवाई की। लेकिन उससे जुड़ी कुछ भी जानकारी प्रस्तुत नहीं कर पाई। इतनी बड़ी रेड मारने के बाद भी आईटी का छापा पूरी तरह फेल हो गया था, लेकिन उस दौरान जो मोबाइल फोन जब्त किए गए उनमें से चैट निकालकर उसके हिसाब से कार्रवाई की जा रही है। यह ट्रांसक्रिप्ट अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 तक के थे ,जिसे आईटी ने ईडी को उपलब्ध कराया।
'चुनाव आने का किया गया इंतजार'
छत्तीसगढ़ में आगामी 4 महीनों के बाद चुनाव होने हैं। कांग्रेस का कहना है ईडी अधिकारियों ने कथित शराब घोटाले की अवधि अप्रैल 2019 से मार्च 2022 के बीच होने की बताई है। जब आईटी ने 2020 में ही छापा मारकर चैट बरामद कर लिए थे तो 2022 के आने का इंतजार क्यों किया गया? ईडी ने बीजेपी के राजनीतिक आकाओं के इशारे पर राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश की गई है। जिसके तहत ईडी अब कार्रवाई कर रही है।
भारतीय दंड संहिता की धारा का उल्लेख
कांग्रेस का कहना है कि जब्त मोबाइल फोन से रिकव्हरर्ड व्हाट्सअप चैट्स के आधार पर सभी संबंधितों के बयान आयकर विभाग के अधिकारियों ने नई दिल्ली में दर्ज किए। शराब से संबंधित सभी कारोबारियों और संबंधित अधिकारियों ने राज्य में शराब के व्यवसाय में भ्रष्टाचार होने के साथ साथ बड़ा घोटाला होने के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया गया। कांग्रेस ने इस बात का उल्लेख किया है कि आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा लिये गये बयान भी शपथ पत्र पर लिए जाते हैं तथा बयान झूठे पाए जाने की दशा में दोषी भारतीय दंड संहिता की धारा 191 एवं 193 के तहत दंड का भागीदारी होता है।