RAIPUR. हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक का लगातार विरोध हो रहा है। इस बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। वन विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर खदान के लिए दी गई वन भूमि के डायवर्जन की अनुमति को निरस्त करने का आग्रह किया है। जानकारी के अनुसार वन विभाग के अपर सचिव केपी राजपूत ने केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वन महानिरीक्षक को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जन विरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है।
आवंटन निरस्त करने की मांग
पत्र में कहा कि ऐसे में जन विरोध, कानून व्यवस्था और व्यापक लोकहित को ध्यान में रखते हुए 841 हेक्टेयर की परसा खुली खदान परियोजना के लिए जारी वन भूमि डायवर्जन स्वीकृति को निरस्त करने का कष्ट करें। इससे पहले सरकार ने विधानसभा में आए एक अशासकीय संकल्प का समर्थन किया था। इसमें केंद्र सरकार से हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान परियोजनाओं का आवंटन निरस्त करने की मांग की गई थी।
हसदेव अरण्य बचाओ समिति और ग्रामीणों का आरोप
गौरतबल है कि केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जुलाई 2019 में ही परसा कोयला खदान को पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान की थी। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सहित स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया था। इस प्रस्ताव के आधार पर यह स्वीकृति दी गई है वह ग्राम सभा फर्जी थी। उनकी ग्राम सभा में इस परियोजना का विरोध हुआ था। सरकार ने बात नहीं सुनी और फरवरी 2020 में केंद्रीय वन मंत्रालय ने परसा कोयला खदान के लिए स्टेज-1 वन मंजूरी जारी कर दी।
विरोध कर रहे लोगों ने सरकार के कदम का किया स्वागत
हसदेव अरण्य में खनन परियोजनाओं का विरोध कर रही संस्थाओं ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि इसे संघर्ष की जीत की दिशा में इसे देखना चाहिए लेकिन हसदेव को बचाने के लिए यह कम है।