BILASPUR. दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच के मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को 2 सप्ताह में शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है कि फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर बहुत बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी में लोग आ रहे हैं। इससे वास्तविक दिव्यांगजनों के अधिकारों का हनन हो रहा है और अस्थाई सर्टिफिकेट के आधार पर भी आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।
दिव्यांग सर्टिफिकेट के दुरुपयोग की शिकायत
2019 में राधा कृष्ण गोपाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि जब कभी भी दिव्यांग सर्टिफिकेट के दुरुपयोग की शिकायत की जाए, तब प्राधिकृत अधिकारियों को उस पर कार्रवाई करनी है। जिससे फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर कोई भी व्यक्ति नौकरी ना पा सके।
मई 2019 में जारी किया गया सर्कुलर
आदेश के परिपालन में मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मई 2019 में सर्कुलर जारी किया गया कि दिव्यांगजनों को शासकीय कल्याणकारी योजनाओं और रोजगार का लाभ देने के पूर्व जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी विकलांग प्रमाण पत्र का सूक्ष्म परीक्षण करा लेवें और सुनिश्चित करें कि विकलांग प्रमाण पत्र निशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अनुरूप ही और उसका उपयोग वास्तविक दिव्यांगजन ही कर सकें।
ये खबर भी पढ़िए..
4 साल बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं
इस मामले में 4 साल बीत जाने पर भी कोई भी कार्रवाई नहीं होने पर छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने अधिवक्ता संघर्ष पांडे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन को ये आदेशित किया गया है कि वे 2 हफ्ते के भीतर अपना शपथ पत्र दायर कर ये बताएं कि दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच के लिए कोई भी सकारात्मक कदम क्यों नहीं उठाए गए हैं।