छत्तीसगढ़ में ''पीसीसी चीफ बदलो'' की जिद और बदलाव की जरुरत नहीं, जिद-नुकसानदेह के तर्क के बीच आलाकमान? निगाहें दिल्ली पर टिकीं

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Pratibha Rana
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छत्तीसगढ़ में ''पीसीसी चीफ बदलो'' की जिद और बदलाव की जरुरत नहीं, जिद-नुकसानदेह के तर्क के बीच आलाकमान? निगाहें दिल्ली पर टिकीं

याज्ञवल्क्य मिश्रा, RAIPUR. विधानसभा चुनाव को बमुश्किल सात महीने बचे हैं और पिछले 6 महीनों में यह पहला मौका नहीं है जब पीसीसी चीफ मरकाम हटाओ अभियान ने जोर पकड़ा है। रायपुर में आयोजित कांग्रेस महाधिवेशन के ठीक पहले इस मसले ने गति पकड़ी है। महाधिवेशन के पहले संगठन महामंत्री अमरजीत चावला के खिलाफ खुद सीएम भूपेश बघेल ने शिकायत की। उनकी शिकायत ये आरोप लगाती थी कि अमरजीत चावला विभिन्न मसलों पर सरकार के खिलाफ टिप्पणी करते हैं। यह आरोप भी उसमें लिखा था कि वे सीएम बघेल को लेकर सीधी टिप्पणी करते हैं। यह पत्र खुद सीएम बघेल ने AICC को सौंपा था। इस पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और उस पत्र में यह स्पष्ट रुप से लिखा गया कि शिकायत खुद सीएम भूपेश बघेल ने की है। 



अमरजीत चावला के मसले के बाद मुद्दे ने पकड़ा तूल



इस मसले को सीएम बघेल और पीसीसी चीफ मरकाम के बीच अदावत से जोड़ कर देखा गया क्योंकि अमरजीत चावला को पीसीसी चीफ मरकाम का राजीव भवन के अंदर सर्वाधिक विश्वसनीय चेहरा माना जाता है। अपुष्ट खबरें हैं कि इस मसले पर अमरजीत चावला की ओर से पत्र अनुशासन समिति को भेजा गया। इसमें आरोप पत्र के आधार मांगे गए, ताकि उस अनुरूप जवाब दिया जा सके, कई पेन ड्राइव और सीडी सौंपी गई। इसमें टीवी डिबेट के रिकॉर्ड थे, जहां अमरजीत चावला भूपेश बघेल और उनकी सरकार के समर्थन में पुरजोर दलील देते दिखाई दे रहे थे। लेकिन उसके बाद यह मसला कहां विलीन हुआ पता नहीं चला। यह जरुर हुआ कि इस आरोप से खुद को व्यथित बताते हुए अमरजीत चावला ने अपने आप को अधिवेशन के दायित्वों से अलग कर लिया, लेकिन अब जब सामने चुनाव है, तो खबरें हैं कि सीएम भूपेश कुपित भाव में बने हुए हैं और इस जिद पर हैं कि पीसीसी चीफ को हर हालत में हटाया जाए। इस मसले पर सबसे ज्यादा तेजी सीएम बघेल के हालिया दौरे के बाद आई है। फिलहाल जब यह खबर लिखी जा रही है, तब तक एआईसीसी से कोई हलचल नहीं है।



क्या है मसला, क्यों हटाने की जिद है



सात महीनों बाद चुनाव है। पार्टी चुनावी मोड़ पर जा चुकी है। अब टिकट विचार और वितरण में संगठन की भूमिका सबसे अहम हो जाएगी। जो सीएम बघेल और पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की तासीर जानते हैं, उन्हें पता है कि पीसीसी चीफ मरकाम “यस मेन” की छवि के नहीं है। पीसीसी चीफ मोहन मरकाम विनम्र है। मुस्कुराते चेहरे के हैं लेकिन दृढ़ता से बात रखने वाले और उस पर कायम रहने वाले हैं। जबकि सीएम भूपेश बघेल की तासीर है कि वे जो कहते हैं उसमें “ना” की गुंजाइश होती नहीं है। ऐसे में जो होना है, उससे सीएम भूपेश प्रसन्न ही होंगे यह तो संभव नहीं है। 

  

 



हालिया दिल्ली दौरे में हुई बैठक की खबरें !



सीएम भूपेश बघेल के हालिया दौरे और इसके ठीक पहले दौरों को लेकर भीतरखाने बहुतेरी खबरें हैं। लेकिन जब तक सूचनाएं निर्णय में तब्दील नहीं होतीं तब तक उनका कुछ सिवा इसके कोई महत्व नहीं है कि उन्हें चटखारा मान लिया जाए। जैसे कि अपुष्ट सूचनाएं यह कहती हैं कि पिछले दो बार के सीएम भूपेश बघेल के दौरे में संगठन के वरिष्ठ नेताओं से जो बैठक, मेल-मुलाकात हुई है, उनमें मसला बड़े दो टूक अंदाज में उठा या यूं कहा जाए कि जिद की तरह यह बात कही गई है कि प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को हटाया जाए। लेकिन अगर इन सूचनाओं को कोरी गप्प भी मान लें तो भी यह तो सही है कि तलवारें खींची हुई हैं।



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संगठन का फैसला क्या है ? जो आज है वहीं कल है या....



तमाम किस्सागोई से गुजरते जब कि यह देखा जाए कि राजीव भवन में हलचल क्या कुछ थाह लगाने देती है, तो इसका जवाब है कि सतह के उपर तो सब शांत है। पीसीसी चीफ मोहन मरकाम हों या उनकी करीबियत रखने वाले चेहरे, उनसे जबकि सीधा सवाल होता है। 



“हटाने की चर्चा है.. क्या लगता है”



इस सीधे सवाल के जवाब में पहले जोर की खिलखिलाहट आती है। इसके बाद जवाब बिलकुल सधा हुआ आता है।“कांग्रेस के सिपाही हैं, आलाकमान का आदेश सर माथे पर, अब तक वैसे उप चुनाव हों या संगठन का दूसरा मसला सब सफलता से हुआ है। सारे उप चुनाव और नगरीय निकाय सीएम भूपेश और पीसीसी चीफ मरकाम के संयुक्त नेतृत्व में ही तो जीते गए हैं”।

  

 



पीसीसी चीफ मोहन मरकाम इसके आगे यह भी बताते है 



कुछ नियुक्तियां होनी हैं, संगठन प्रभारी कुमारी सैलजा से अनुमोदन लिया गया है, अब वो नियुक्ति करनी है। प्रियंका जी का संभावित कार्यक्रम है, उसकी तैयारी के साथ सांगठनिक बहुत व्यस्तता है।” यह बताने की कोशिश है कि जो भी छप रहा है उससे पीसीसी चीफ मोहन मरकाम संगठन के काम निपटाने में व्यस्त हैं। लेकिन यह सतह के ऊपर शांति का नजारा है, जरा नीचे धार की तेजी देखनी हो तो उन चेहरों पर नजरें चुकानी होगी जो कि दिल्ली में डटे हुए हैं। दिल्ली में मौजूद प्रदेश के कद्दावर नेता से सवाल हुआ कि “पीसीसी चीफ के बदलाव की खबरें हैं”।

 

 



इस पर तुरंत जवाब आया 



जब पचहत्तर पार का मसला है, सार्वजनिक एलान हो चुका है तो इसका मतलब है कि सब ठीक है सब बढ़िया है तभी तो पचहत्तर पार की बात आई है। फिर अब बदलाव की बात कहां से आ रही है, वैसे भी फैसला आलाकमान ही करता है, यदि ऐसा कुछ होगा तो फैसला आलाकमान करेगा, जहां तक मेरी बात है तो मैंने ऐसा कुछ बदलाव का मसला सुना नहीं है। दिल्ली में ही मौजूद एक और दिग्गज नेता ने इस सवाल के जवाब में कहा सात महीने चुनाव के बचे हैं, अब फेरबदल का क्या यह कोई वक्त है।



राजनीति अप्रत्याशित परिणामों का नाम है



कांग्रेस की सियासत का एक मतलब यह भी है कि यहां जो दिखता है वो हमेशा हो यह जरुरी नहीं और जो दिख रहा है वह नहीं हो यह तो और कतई जरुरी नहीं। सीएम भूपेश बघेल के साथ नुमाया सांसद दीपक बैज की तस्वीर अगले दिन संगठन प्रभारी कुमारी सैलजा के साथ भी नुमायां हुई है। इधर मौजूदा पीसीसी चीफ़ मोहन मरकाम, दीपक बैज और सीएम बघेल ने एक बात समान रुप से कही है कि बस्तर में प्रियंका गांधी का दौरा है। इसकी संभावित तारीख 12 अप्रैल है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतरखाने इस कार्यक्रम के अपने मायने हैं।

 


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