AMBIKAPUR. छत्तीसगढ़ के सबसे बुजुर्ग हाथी 'सिविल बहादुर' ने दुनिया को अलविदा कह दिया। अंबिकापुर के पुनर्वास केंद्र रमकोला में 'सिविल बहादुर' की 72 साल की उम्र में 3 जनवरी की सुबह मौत हो गई। कुसमी के सिविलदाग ग्राम में पकड़े जाने के कारण इसका नाम 'सिविल बहादुर' रखा गया था। कुछ दिनों से सिविल बहादुर बीमार चल रहा था। अब सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। सिविल बहादुर को वन विभाग ने 1988 में पकड़ा था। इसके बाद अन्य हाथियों का भी आगमन भी हुआ।
प्राकृतिक रहवास में आपदाओं के बीच इतना लंबा जीवन कठिन था
जंगल के बीच प्राकृतिक रहवास में आपदाओं के बीच जीवन से खुद से संघर्ष करते हुए इतनी उम्र तक किसी हाथी का जीना भी संभव नहीं है। ऐसे में इसे ही छत्तीसगढ़ का सबसे उम्रदराज हाथी माना जा सकता है। जहां तक सिविल बहादुर के रहवास की बात करें तो पहले इसे तमोर पिंगला अभयारण्य के हाथी कैंप में रखा गया था। फिर उसे अचानकमार अभयारण्य (टाइगर रिजर्व बनने से पूर्व) ले जाया गया था। फिर करीब पांच साल पहले फिर तमोर पिंगला लाया गया और तब से उसे रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था।
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हाथियों के झुंड का लीडर था सिविल बहादुर
इधर, सिविल बहादुर को लेकर सरगुजा के हाथी विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी हाथियों का दल किसी नए वन क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले उनके जो नेतृत्वकर्ता होते हैं वे अकेले उस क्षेत्र में जाते हैं और पूरे इलाके का सर्वे कर भोजन-पानी और सुरक्षा का आकलन करते हैं। उसके बाद ही दल के शेष हाथी आते हैं। आपको भले ही हाथियों द्वारा इस तरह के वैज्ञानिक तरीका अपनाने पर यकीन नहीं हो रहा हो, लेकिन हाथी विशेषज्ञों ने कई अध्ययनों से इसे साबित किया है। सिविल बहादुर भी छत्तीसगढ़ के कुसमी वन परिक्षेत्र से लगे झारखंड के जंगल से जायजा लेने कुसमी क्षेत्र में साल 1988 में आया था। उस पर वन विभाग की नजर थी। बाद में दल के अन्य हाथी भी आ गए। उसके बाद सिविल बहादुर को पकड़ा गया।
भारत में ही है विश्व की सबसे उम्रदराज हथिनी
पन्ना टाइगर रिजर्व में सेवानिवृत्त हो चुकी हथिनी वत्सला को सबसे उम्रदराज हाथिनी माना जाता है। उसने सौ साल से अधिक की आयु पार कर ली है।