Raipur,23 अप्रैल 2022। बीते क़रीब एक महिने से अधिक समय से नियमितिकरण की माँग को लेकर बूढा तालाब के पास निर्धारित धरना स्थल पर धरना दे रहे विद्युत विभाग के संविदाकर्मी पर तड़के पुलिस ने लाठियाँ भांजी और क़रीब 41 लोगों को गिरफ्तार कर जेल परिसर ले ज़ाया गया है। आंदोलनकारी कल से मुख्यमंत्री निवास का घेराव करना चाह रहे थे। कल आंदोलनकारियों का समूह धरना स्थल से थोड़ा आगे स्मार्ट सिटी कार्यालय के पास पहुँचा तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया था। नाराज़ आंदोलित संविदा कर्मचारी वहीं सड़क पर बैठ गए और उन्होंने पूरी रात सड़क पर ही गुज़ार दी।देर रात से लेकर तड़के तक सड़क बाधित होने का हवाला देते हुए पुलिस ने हटाने और वापस धरना स्थल पर भेजने की कोशिश की लेकिन भड़के आंदोलनकारी नहीं माने। सुबह पुलिस पहुँची और उसने लाठियाँ भांजते हुए नेतृत्व कर रहे आंदोलनकारियों को बलपूर्वक हिरासत में लेकर पुलिस गाड़ी में भरकर सीधे जेल परिसर पहुँचा दिया।>
आक्रामक तेवर क्यों
विद्युत कंपनी CSPDCL में संविदा पर क़रीब 1500 कर्मचारी हैं, इन संविदा कर्मचारियों की माँग नियमितिकरण,अनुकंपा की माँगें हैं।इनकी नाराज़गी है कि, कंपनी उदासीन है। संविदा कर्मचारियों का आरोप है कि अब तक 26 संविदा कर्मचारी की बिजली के संपर्क में आने से भयावह मौत हुई है वहीं कुछ यदि बचे हैं तो स्थाई विकलांग हो चुके हैं।संविदाकर्मी आंदोलनकर्मी अभी 41 दिन जबकि इसके पहले 20 दिन का आंदोलन कर चुके हैं।अब इन आंदोलनकारियों की ज़िद थी कि वे उर्जा विभाग के भारसाधक मंत्री जो खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर सीधी बात करेंगे। आंदोलित संविदा कर्मचारी इससे नीचे किसी भी स्तर पर बात को तैयार नहीं थे, और सुबह के घटनाक्रम की पृष्ठभूमि भी इस क़वायद से हुई क्योंकि जब वे सीएम हाउस की तरफ़ बढ़े तो पुलिस ने उन्हें जहां रोका आंदोलनकारी उसी जगह पर उसी सड़क पर ही रात को सो गए थे।
कंपनी का पक्ष
इस मामले में CSPDL याने बिजली वितरण कंपनी का तर्क है कि, संविदा कर्मचारियो में कई भू विस्थापन से जुड़े हैं, सीधी भर्ती के माध्यम से इनकी भी भर्ती की कोशिश की गई थी।सीधी भर्ती में इन्हें तीन वर्ष से उपर कार्यरत होने की दशा में तीस अंक बोनस देने का प्रावधान रखा गया था लेकिन इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर हो गई और बीते 7 मार्च को हाईकोर्ट ने पूरी भर्ती प्रक्रिया ही ख़ारिज कर दी और नंबर दिए जाने को भी प्रश्नांकित कर दिया।कंपनी की यह भी दलील है कि संविदा कर्मचारियों का वेतन 8000 से बढ़ाकर 13000 कर दिया गया,वहीं काम के दौरान मौत होने पर मुआवज़ा जो पहले पाँच लाख था उसे पंद्रह लाख कर दिया गया, और उपचार के लिए स्पष्ट किया गया कि, उपचार में खर्च चाहे जितना हो उसे कंपनी वहन करेगी।कंपनी का दावा है कि, इस बीच में संवाद लगातार हुआ लेकिन आंदोलित कर्मचारी नहीं माने।
लेबर कोर्ट का आदेश
इस बीच जबकि हड़ताल जारी रही, बिजली कंपनी ने 28 मार्च को लेबर कोर्ट का रुख़ कर लिया और हड़ताल पर स्थगन माँगा। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद लेबर कोर्ट ने 12 अप्रैल को आदेश किया कि हड़ताल स्थगित करें और काम पर लौंटे।
तेवर अब भी सख्त
इस बीच जबकि आंदोलित संविदा कर्मचारियों के शीर्ष नेताओं जिनकी संख्या क़रीब 41 है, वे गिरफ्तार हो चुके है, संविदा कर्मचारी झुकने की मानसिकता में नहीं है। वे मुख्यमंत्री बघेल से मिलने की ज़िद पर आमादा हैं, संकेत है कि आंदोलन फिर शुरु हो सकता है।