नितिन मिश्रा, Raipur. आरक्षण मसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अस्थाई आदेश दिया है। लेकिन यह यह अस्थाई आदेश बड़ी राहत है।आरक्षण मसले को लेकर सरकार को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने डॉ रमन सिंह सरकार के समय 58 फ़ीसदी आरक्षण वाले अध्यादेश को पचास फ़ीसदी से उपर बताते हुए अध्यादेश को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर स्टे दिया है लेकिन यह सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम फैसला है। राज्य सरकार ने इस स्टे के आधार पर भर्ती कार्यवाही शुरु करने के आदेश जारी किए हैं लेकिन उसमें स्पष्ट रुप से उल्लेखित है कि, यह भर्ती सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होगी।
क्या हुआ मसला
आरक्षण मसले में सुप्रीम कोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण (SC+SC+OBC) को बरकरार रखने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह अंतरिम राहत है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जुलाई में फिर से सुनवाई करेगा। तब तक के लिये प्रदेश में भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा सकेंगी। दरअसल इससे पहले 58 प्रतिशत आरक्षण मसले पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। कोर्ट का आदेश था कि 50 प्रतिशत से आरक्षण 58 प्रतिशत करना असंवैधानिक है। जानकारों का मानना है कि यह राहत महत्वपूर्ण है लेकिन यह राहत स्थाई हो जाएगी इसे लेकर शंकाएँ हैं।
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क़रीब साल भर की उहापोह के बाद अब भर्ती
आरक्षण विवाद के कारण भर्तियां रुकी हुई थी। जिससे प्रवेश परीक्षाएँ भी रुकी हुई थीं।लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब शासकीय विभागों द्वारा भर्ती की प्रक्रिया शुरु किए जाने के आदेश राज्य सरकार ने जारी कर दिया है।यह भर्ती डॉ रमन सिंह सरकार के द्वारा लागू आरक्षण व्यवस्था के तहत होगी। पर भर्ती में यह शर्त प्रभावी है कि सुको के अंतिम निर्णय के अधीन यह भर्तियाँ होंगी।