राजीव भवन के इस सियान कांग्रेसी की बात ग़ौरतलब है
कर्नाटक की जीत से कांग्रेस लहालोट है।राजीव भवन से लेकर चौक चौराहों पर आतिशबाजी हुई है। होनी भी चाहिए। लेकिन राजीव भवन के उस सियान कांग्रेसी की चिंता भी गंभीर है। मीठा हाथ में थामे सियान गंभीर से दिखे तो इस सहाफ़ी ने पूछा चचा क्यों गंभीर हैं तो चचा ने कहा बाबू कर्नाटक में चालीस परसेंट वाली सरकार का मसला था,याने भ्रष्टाचार का मसला था। जिस मुद्दे ने हर 5 साल में तय बदलाव को और निश्चित किया वह सरकार पर लगा करप्शन का आरोप था। नागरिक इतना कुपित था कि, धर्म भी थाम नहीं पाया। यदि भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर जनमत आने लगा तो प्रदेश में हम कांग्रेस के लोगों को मिठाई बाँटने के साथ चिंता और चिंतन दोनों करना चाहिए।
ये व्हाट्सएप पर मैसेज कौन चला रहा है
ईडी के हालिया छापे जो शराब को लेकर केंद्रित हैं उस पर जो रचनात्मकता व्हाट्सएप पर वायरल हैं, वह मुस्कुराहट तो ला रही है लेकिन यह समझ नहीं आ रहा है कि आख़िर ऐसी रचना लिख कौन रहा है ? यह जरुर है कि ऐसा क्षणिकाएँ या कि रचनाएँ कांग्रेस के ही व्हाट्सएप ग्रुपों में ही ‘मन की गति’ से तैर रही है। मसलन दो तो कुछ यूँ है
1-हम उलझे रहे भौंरा बाटी गेड़ी पुन्नी नहाय अउ बोरे बासी म..
फलना अभी ज़िंदा हे कहे वाला मालामाल होगे संगी 2000 करोड़ के राशि म..
दबा बल्लूऽऽऽऽऽ फलना वाले
2- छग की जनता को बड़ी राहत, कर्नाटक में गाय मिली
और भी बहुत सी क्षणिकाएँ तैर रही हैं, भैया के करीबी कांग्रेसियों को व्हाट्सएप ग्रुपों पर नज़र रखना चाहिए।
चिट्ठी डॉ रमन की, मुद्दा डॉ रमन का, पीसी सुनील भैया की
बीजेपी के अंदर किस कदर ठीक ठाक है, उसे समझने के लिए एक मसला ही काफ़ी है। 600 करोड़ के चावल घोटाले का मसला विधानसभा में डॉ रमन सिंह ने उठाया, दिल्ली मंत्रालय पत्र डॉ रमन सिंह ने लिखा। दिल्ली से जाँच टीम गठन की सूचना भी डॉ रमन सिंह को ही आई, लेकिन प्रेस कॉंफ़्रेंस ले गए सुनील भैया, याने सांसद रायपुर। उसमें उन्होंने बताया जाँच टीम आई है, क्योंकि वे संसद में मामला उठाए थे। सांसद जी की वैसे पीसी तब हुई जब टीम लौटने वाली थी।
कर्नाटक की सरकार और ईडी केस
कोयला घोटाला और अवैध वसूली गिरोह मामले में ईडी की कार्यवाही का आधार है कर्नाटक में दर्ज एफ़आइआर।कर्नाटक में सरकार कांग्रेस की बन गई है। अब उत्साही पहाड़ा पढ़ रहे हैं कि बस अब एफ़आइआर ख़त्म। उत्साह में पहाड़ा पढना चाहिए लेकिन उल्टा नहीं। उस एफ़आइआर में प्रार्थी कौन है ये भी देखना चाहिए।उसके भी पहले ‘हनुमानजी सरकार’ से प्रार्थना करनी चाहिए कि, सीएम पद को लेकर रार ऐसी ना बढ़े कि विरोधी दल की लार टपक जाए।
शौक़ ए दीदार है तो नज़र पैदा कर
किसी भाजपाई ने यह कहते हुए भेजा है कि, भैयाजी देखिए विपक्षी लोग बदमाशी किए हैं। अब लेकिन ये बात वह शर्तिया नहीं कह पा रहा था। अपने राम का मानना है कि, उत्साह में वाल पेटिंग हुई लेकिन अति उत्साह में शब्द लिखे गए, सो चूक हो गई।चिंता वाली बात नहीं है,ऐसा अति उत्साह हर दल के कुछ कार्यकर्ताओं में होता ही है।
त्रिपाठी साब के लिए इतना संवेदनशील कौन किया भई
आबकारी विभाग के कर्ता धर्ता नियंता त्रिपाठी साब याने अरुण पति त्रिपाठी को जब कोर्ट पेश किया गया तो रायपुर पुलिस की संवेदनशीलता चरम पर थी। त्रिपाठी साब को ईडी की रिमांड मिली तो उन्हें अंतिम अवसर तक भरपूर कवर दिया गया। पुलिस के एक से बढ़कर एक धुरंदरों की चिंता इस कदर थी कि कैमरे की रोशनी तक से साब को दिक्कत ना हो जाए। बताते हैं कि, खबर के लिए पहुँचनेवाले पत्रकारों की तस्वीरें भी ली गई हैं। एक खबरनवीस की नज़र पड़ी तो वो खुद ही टहलते पहुँचे और पूछे देखो मेरी तस्वीर ठीक ना आई हो तो दुबारा ले लो। संवेदनशीलता अच्छी बात है वो भी जब पुलिस दिखाए लेकिन मसला तब सवाल बन जाता है कि दिखा किसके लिए रहे हैं और क्यों दिखा रहे हैं, अब ये जवाब ना तो मिलना था और ना मिला।
चावल घोटाले में केंद्रीय टीम को काग़ज़ खोजने की क्या जरुरत
जिस चावल घोटाले पर विधानसभा में चिल्लमचोट हुई, उसमें केंद्रीय टीम आकर भला कौन सा काग़ज़ खोज रही थी। सत्रह मार्च और बीस मार्च की विधानसभा की कार्यवाही विवरण ही देख लेना चाहिए।बीजेपी की ओर से डॉ रमन सिंह के स्थगन प्रस्ताव की बहस और उसके पहले 17 मार्च के प्रश्नकाल में सवाल जवाब को पढ़ना चाहिए।जब विपक्ष आरोप लगा रहा था कि,600 करोड़ का चावल घोटाला हुआ और चना गुड़ मिला लें तो हजार करोड़ का घोटाला हुआ, तो खाद्य मंत्री अमरजीत भगत खड़े हुए और बोले कि देखिए गड़बड़ी हुई है पर जितना आप लोग बोल रहे हैं, उतने की नहीं हुई है। खाद्य मंत्री जी ने आँकड़ा भी बताया कि 4952 राशन दुकानों में 41975 टन चावल कम मिला है।
भाई साब के 18 हजार कार्यकर्ता और 2003 की वो सायकल रैली
बीजेपी में साठ लाख के आसपास कार्यकर्ता हैं, याने मिस कॉल अभियान के आधार पर। अब ये अलग बात है कि 45 लाख से उपर वोट नहीं पड़े। पर मसला वोट का नहीं है। एक भाई साब है, उन्हें यह जरुर जानना चाहिए क्योंकि अब वे बताएँगे कि 90 विधानसभा में 18 हजार कार्यकर्ताओं से संपर्क है तो सवाल उठेगा कि भाई साब अभी तो वे उस आँकड़े के किसी सम्मानजनक प्रतिशत तक नहीं पहुँचे हैं जो वोट दिया था। ख़ैर जादू होना होगा तो हो ही जाएगा क्योंकि 2003 में भी एक भाई साब ने पूरे प्रदेश में एक हज़ार सायकल चलवाई थी, ये अलग बात है कि मतदाता छोड़िए बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी सायकल में निकले ये युवा प्रचारक नहीं दिखे थे।वैसे आपके 26 बिंदुओं पर भी काम नहीं हो रहा है।डांट डपट लगाइए तो भाई साब!
सुनो भई साधो
1- कर्नाटक में सीएम कौन बनेगा इस पर छत्तीसगढ़ में दिलचस्पी किसकी है ?
2- छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक हलके में एक शब्द के खूब चर्चे होते हैं सुपर बॉस। ये सीएम साहब नहीं है तो कौन हैं ?