याज्ञवल्क्य मिश्रा, Raipur. शून्यकाल शुरु होते ही विधानसभा फिर हंगामे शोरगुल में डूब गई। बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने प्रदेश में धर्मांतरण, आदिवासियों पर पुलिस के द्वारा फ़र्ज़ी कार्यवाही और बढ़ते नक्सली हमले जिसमें बीजेपी कार्यकर्ताओं की सिलसिलेवार हत्या का मसला उठाते हुए स्थगन प्रस्ताव पेश किया। जबकि स्थगन प्रस्ताव पेश करते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार पर आरोप लगाए तो सत्ता पक्ष की ओर से मंत्री शिव डहरिया समेत कई विधायक खड़े हो गए और विरोध करने लगे।
सत्तापक्ष का इतना शोरगुल कि आसंदी का आग्रह भी बेअसर
सत्तापक्ष इस स्थगन प्रस्ताव की भुमिका के पेश होने की भुमिका से ही इतना उद्वेलित हुआ शोरगुल हंगामे पर आमादा हो गया। विपक्ष के आरोप को ख़ारिज करने की क़वायद में सत्ता पक्ष के कई विधायक बोलने लगे। आसंदी से उपाध्यक्ष संतराम नेताम ने दो बार सत्ता पक्ष से आग्रह किया कि, शांत हो जाए और स्थगन की ग्राह्यता पर चर्चा होने दें लेकिन शांति नहीं हुई, जिसके बाद आसंदी ने दस मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी।