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याज्ञवल्क्य मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ की रसूखदार अफसर सौम्या चौरसिया को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया। 4 घंटे की पूछताछ के बाद एजेंसी ने उन्हें कोर्ट लाई है। ईडी एडीजे कोर्ट में कुछ देर बाद गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट में प्रतिवेदन देगा। सौम्या से 7 बार की पूछताछ के बाद आज यानी 2 दिसंबर को जब फिर बुलाया गया तो ईडी के पास कौन से सबूत आ गए हैं जो उनकी गिरफ्तारी को सुनिश्चित करते हैं। अपुष्ट खबरें हैं कि ईडी ने एक बड़े व्यवसायी जो लोहा-इस्पात उद्योग से जुड़े हैं और एक कॉलोनाइजर से ईडी की पूछताछ जारी है। ईडी की टीम ने कोर्ट से सौग्या चौरसिया का 14 दिन का रिमांड मांगा है। इसके पीछे ये तर्क दिया है कि ईडी की टीम को गवाहों से जो साक्ष्य मिले हैं उनका क्रॉस वेरिफिकेशन कराना है। वहीं कोर्ट ने सशर्त 4 दिन का रिमांड मंजूर किया। सौम्या के वकील को प्रतिदिन 1 घंटे बातचीत करने और कोर्ट की कार्यवाही देखने की अनुमति दी गई है लेकिन सुन नहीं सकता है।
कोर्ट में क्या बोली सौम्या
कोर्ट में सौम्या चौरसिया ने एडीजे अजय सिंह राजपूत से कहा कि ईडी के अधिकारी मुझे जमीनों के मामलों को लेकर आरोपी बना रहे हैं जबकि संबंधित जमीनें मेरी मां और अन्य परिजनों के नाम पर हैं। जमीनों का डायवर्जन होने से उनकी कीमतें बढ़ गईं हैं।
कोयला सिंडिकेट से व्यापक धन की उगाही
ईडी के वकील सौरभ कुमार ने कोर्ट को बताया कि कोल सिंडिकेट के जरिए धन की व्यापक उगाही की गई है। इसका विस्तृत ब्यौरा कारोबारी सूर्यकांत तिवारी की डायरी में मिलता है। इस डायरी में जब-जब रकम को लेकर एंट्री की गई तब-तब ये पाया गया है कि जमीनों और अन्य अचल संपत्ति में निवेश किया गया है।
आखिर कौन हैं सौम्या
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) की उप सचिव सौम्या चौरसिया (Deputy Secretary Soumya Chaurasia) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। ये राज्य प्रशासनिक सेवा की वही अधिकारी हैं जो छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री सचिवालय में बतौर उप सचिव नियुक्ति हुई थीं। सरकार में अपने जबर्दस्त दखल और रसूख के चलते सौम्या चौरसिया देखते ही देखते शासन-प्रशासन की प्रमुख धुरी बन गईं। छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था को समझने वाले जानते हैं कि सरकार में सौम्या चौरसिया इस कदर प्रभावी हैं कि मामला चाहे सरकार से जुड़ा हो अथवा राजनीति से अंतिम फैसला डिप्टी सेक्रेटरी चौरसिया की हरी झंडी मिलने के बाद ही होता है। हालत ये है कि कांग्रेस सरकार में कई वरिष्ठ आईएएस अफसरों का कद भी राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या के आगे बौना नजर आता है। राज्य में छोटे- बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग से लेकर प्रदेश सरकार की नीति-कार्यक्रमों से संबंधित फैसले भी उनकी मंजूरी से ही फाइनल होते हैं। यह माना जाता है कि सौम्या चौरसिया के केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर होने की वजह भी उनका मुख्यमंत्री बघेल का सर्वाधिक विश्वासपात्र होना ही है।