RAIPUR. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 76% आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर एक बार फिर से भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है भाजपा के लोग आरक्षण विरोधी हैं। ये नहीं चाहते कि आरक्षण मिले। सीएम ने यह भी कहा कि बीजेपी के लोग राज्यपाल पर दबाव बनाए हुए हैं। इसलिए राज्यपाल आरक्षण विधेयक पर किंतु और परंतु कर रही है। हम राज्यपाल से आग्रह करते हैं कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करें। ताकि सभी वर्गों को लाभ मिल सके।
राज्यपाल कर रहीं किंतु-परंतु
छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में कहा कि वो (बीजेपी) आरक्षण के विरोधी हैं। अजय चंद्राकर ने कहा कि मैं पार्टी से बंधा हुआ हूं नहीं तो मैं आरक्षण का विरोधी हूं। यही हाल बीजेपी के हर नेता का है। किसी भी आरक्षण की बात हो, वो(बीजेपी) देने के लिए तैयार नहीं है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि राज्यपाल ने पहले कहा कि मैं तुरंत हस्ताक्षर करूंगी, पर वो अब किंतु-परंतु कर रही हैं। इसका मतलब है कि वो चाहती थी मगर बीजेपी वालों ने दबाव बना कर रखा है।
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आरक्षण विधेयक पर मंत्री अनिला भेड़िया का बयान भी आया है। इसमें उन्हेांने कहा है कि पता नहीं राज्यपाल की सोच और मजबूरी क्या है। छग की जनता भी समझ गई है, साइन क्यों नहीं कर रहीं। शायद बहुत दबाव में है इसलिए ऐसा कर रहीं, सभी वर्ग के लोग राज्यपाल के पास जाएंगे। हम लोग भी एक बार और राज्यपाल के पास जाएंगे। तब भी साइन नहीं हुआ तो आगे की रणनीति पर विचार होगा। बता दें कि 17 दिसंबर को सरकार के 4 साल पूरे होने वाले है। इस पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि हमारी सरकार सभी वर्गों के लिए कामकाज की है। जिससे प्रदेश में खुशहाली का माहौल है। सीएम ने 15 साल की भाजपा सरकार पर भी हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने कोई विकास कार्य नहीं किया। 15 साल तक चाउर वाले बाबा रहे। जिन्होंने नान समेत कई घोटाले किए।
देश की सीमा पर चीन के अतिक्रमण मुद्दे पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि सीमा पर छेड़खानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भारत की सेना सबसे ताकतवर है लेकिन भारत सरकार चुप क्यों है?
आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल ने सरकार से पूछे दस सवाल, 50% से अधिक आरक्षण की विशेष परिस्थिति का ब्यौरा भी मांगा
आरक्षण मसले पर राजभवन से जारी एक पत्र जिसमें दस सवाल हैं, वे सवाल राज्य सरकार को परेशान कर सकते हैं। राज्यपाल अनुसूइया उइके ने राज्य सरकार से दस बिंदुओं पर क्रमवार जानकारी मांगी है। इनमें क्वांटिफाएबल डाटा आयोग का ब्यौरा और 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की स्थिति क्यों बनी इसे लेकर भी सवाल खड़े करते हुए जानकारी मांगी है।
ये जानकारी मांगी है राज्यपाल ने
राज्यपाल अनुसूइया उइके ने जो जानकारी राज्यपाल से मांगी है उनमें विधिक सलाहकार से इस विषय पर मिला अभिमत भी शामिल है। राजभवन ने पूछा है कि “विधेयक पारित करने के पूर्व अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के संबंध में मात्रात्मक विवरण ( डाटा ) संग्रहित किया गया था ? वह मात्रात्मक विवरण उपलब्ध कराएं। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा है कि,अजा अजजा और अपिव के आरक्षण का प्रतिशत राज्य की सेवाओं में प्रत्येक भर्ती वर्ष के लिए पचास प्रतिशत से अधिक विशेष और बाध्यकारी परिस्थिति में ही हो सकता है,वह विशेष और बाध्यकारी परिस्थिति क्या है? हाईकोर्ट ने जो आरक्षण संबंधी पुराना अध्यादेश ख़ारिज किया उसमें हाईकोर्ट ने ऐसी कोई विशेष परिस्थिति का उल्लेख नहीं पाया है।
हाईकोर्ट के फ़ैसले के ढाई महीने बाद क्या ऐसी विशेष परिस्थिति के बारे में कोई विवरण ( डाटा ) प्रकाशित किया गया है, यदि हां तो डाटा दें। कैबिनेट में महाराष्ट्र तमिलनाडु और कर्नाटक में आरक्षण के प्रतिशत का उल्लेख किया गया है। लेकिन इन सभी राज्यों में पहले कमेटी का गठन हुआ, छत्तीसगढ़ में कौन सी कमेटी बनी जिसमें अजा अजजा के सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक रुप से पिछड़ेपन को ज्ञात किया गया, इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं और लौटा भी नहीं
विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर भूपेश बघेल सरकार ने अजजा को 32 फ़ीसदी,अन्य पिछड़े वर्ग को 27 फ़ीसदी और अजा को 13 प्रतिशत इस तरह कुल 72 फ़ीसदी का प्रावधान किया। 2 दिसंबर को यह पास हुआ और 2 दिसंबर को ही भूपेश कैबिनेट का मंत्री समूह राज्यपाल के पास इस विधेयक को हाथों हाथ लेकर गया कि राज्यपाल इस पर हस्ताक्षर कर दें, लेकिन राज्यपाल ने अनिवार्य औपचारिकता का हवाला देते हुए तत्काल हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। क़रीब सात दिनों बाद राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने बेहद स्पष्ट कहा कि, विधेयक पर बहुत से विधिक प्रश्न हैं जो पूछना होगा, और अब यह पत्र जारी कर राजभवन ने सवाल पूछे हैं।