Raipur. छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डर का माहौल पैदा न करें। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर ईडी की कार्रवाई पर हमला बोला है। सीएम का कहना है कि ईडी तो ऐसी हो गई है कि जिस पर मन आए उसे नोटिस दे देते हैं। जो ये थर्ड डिग्री टॉर्चर कर रहे है वो गलत है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार से अब यह निरंकुश हो गए है। दरअसल मंगलवार को छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल ने दलील पेश की है।
सीएम बघेल ने कहा
चाहे किसान हो.. महिला हो.. आदिवासी हो ऐसा कोई वर्ग नहीं है जो सरकार से नाराज़ है। ऐसे में बीजेपी का यह एजेंडा है कि कांग्रेस को बदनाम करो। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की फटकार से अब यह निरंकुश हो गए है। ईडी दबाव डालती है ताकि सामने वाला किसी दूसरे का नाम ले और जब वह दबाव में नाम लेता है तब उसी बात को ये टारगेट करने का काम करते है।
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सिब्बल के तर्क पर कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट में जबकि कपिल सिब्बल ने तर्क में यह बताया कि चुनाव को देखते हुए ईडी कार्रवाई कर रही है। ईडी राज्य की ब्यूरोक्रेसी के बीच डर और आतंक का वातावरण बनाया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये स्पष्ट नहीं है कि, सिब्बल द्वारा लगाए आरोप सही हैं या नहीं, लेकिन यदि ये आरोप सही हैं तो गंभीर बात है। जबकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित है और यह कार्रवाई हो तो ऐसे में ईडी की विधिपूर्वक की गई उचित कार्रवाई भी प्रश्नांकित हो जाएगी। दरअसल छत्तीसगढ़ में चल रही ईडी की कार्रवाई पर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें कपिल सिब्बल ने ईडी की जांच ईडी को अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया है और राज्य में कथित शराब सिंडिकेट घोटाले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फंसाने का आरोप लगाया है। इसके लिए ईडी ने आबकारी विभाग के कम से कम 52 अधिकारियों को ईडी ने सीनियर अफसरों और मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव बनाया गया है। इस लिए अधिकारियों ने ईडी के खिलाफ लिखित शिकायत की है।