रेणु तिवारी, RAIPUR. छत्तीसगढ़ में ईडी के बढ़ते दबाव से राजनीतिक गलियारे में खबरों का बाजार भी गर्म हो गया है। एक तरफ 2000 करोड़ की शराब घोटाले में पकड़े गए अनवर ढेबर ने कोर्ट परिसर में कह दिया है कि उसे मुख्यमंत्री के नाम पर मुंह खोलने दबाव बनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस आरोपी अनवर के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देने बैठ गई है।
सरकार की छवि खराब करने ईडी षडयंत्र कर रही
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कहना है कि मुख्यमंत्री और सरकार की छवि खराब करने ईडी षडयंत्र कर रही है। बीजेपी की केन्द्र सरकार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार को बदनाम करने की नीयत से ईडी को भेजकर गलत छापेमारी की कार्रवाई करवा रही है। छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई शुरू से संदिग्ध रही है। पहले भी अनेक व्यापारियों, अधिकारियों ने ईडी पर प्रताड़ना और जबरन हस्ताक्षर का आरोप लगाया है। ईडी की कार्यप्रणाली से यह आरोप लगते रहे हैं कि बीजेपी राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ईडी का दुरूपयोग कर रही है। ईडी द्वारा मारे गए छापे उसी षडयंत्र का हिस्सा हैं।
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गिरफ्तार अनवर ढेबर ने कोर्ट में कहा
आरोपी अनवर ढेबर द्वारा कोर्ट में कहा गया कि ईडी मुझ पर मुख्यमंत्री और उनके परिवारजनों का नाम लेने के लिए दबाव डाल रही तथा मुझे प्रताड़ित कर रही है। मैं ईडी से इतना ज्यादा परेशान हूं कि आत्महत्या कर लूंगा।
कांग्रेस ने कहा- बीजेपी डर रही
कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बढ़ रही लोकप्रियता और देशव्यापी स्वीकार्यता का कारण बीजेपी डरी हुई है। इसी वजह से राज्य में पड़ रहे ईडी की छापामारी हो रही है। बीजेपी चार साल में कांग्रेस सरकार पर 4 रुपए का भी प्रमाणिक भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा सकी है। बीजेपी राज्य सरकार की छवि खराब करने के लिए कांग्रेस पदाधिकारियों, अधिकारियों, व्यापारियों को टारगेट कर रही है। ईडी की सारी कार्रवाई कांग्रेस शासित राज्य में ही क्यों हो रही है। बीजेपी सरकार वाले राज्यों में ईडी, आईटी पंगु क्यों हो जाते हैं?
भूपेश सरकार के फैसलों से सरकार बौखला गई
बीजेपी राज्य में कांग्रेस सरकार का राजनीतिक रूप से मुकाबला नहीं कर पा रही है, तो वह केंद्रीय जांच एजेंसियों के माध्यम से राज्य के राजनीति, औद्योगिक और व्यापारिक माहौल को खराब करने का षड्यंत्र कर रही है। मुख्यमंत्री बघेल द्वारा प्रति एकड़ धान खरीदी की सीमा 20 क्विंटल किए जाने और युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिए जाने के निर्णय से बीजेपी बौखला गई है। कांग्रेस सरकार के चार साल के जनकल्याणकारी कामों का मुकाबला करने के लिए भी बीजेपी के पास कुछ नहीं है। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक रूप से रसातल में पहुंच चुकी, बीजेपी सोच रही है कि वह जांच एजेंसियों के बल पर राज्य में अपने वजूद को बचा लेगी।