Raipur. बीते 20 दिनों से राजधानी के बूढ़ा तालाब में दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों और विधवाओं का आंदोलन चल रहा है। यह आंदोलन अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की माँग को लेकर है। ये आश्रित और विधवाएं अनुकंपा के लिए बनाए नियमों के पेंच में फँस गए हैं। इन्हें तब अनुकंपा मिल सकती है जबकि ये निर्धारित पात्रता परीक्षा और डिग्री हासिल कर सकें। आंदोलनरत आश्रितों और विधवाओं का आरोप है कि, बतौर पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने वायदा किया था कि सरकार बनी तो यह नियम बदला जाएगा, लेकिन अब जबकि खुद भूपेश बघेल हैं, चार बरसों बाद भी कोई राहत नहीं मिल पाई है।
सीएम बघेल की सद्बुद्धि के लिए छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा करने जा रहे थे, प्रशासन ने रोका
लगातार आंदोलन कर रहे दिवंगत कर्मचारियों के आश्रित आज आंदोलन स्थल से घड़ी चौक स्थित छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा की पूजा करने और महतारी से मुख्यमंत्री को सद्बुद्धि दिलाने की प्रार्थना करने निकले, लेकिन उन्हे प्रशासन ने रास्ते में ही रोक लिया। प्रशासन और आंदोलनकारियो के बीच जमकर बहस भी हुई।बिफरे आंदोलनकारियों ने सवाल किया है कि विपक्ष में रहते हुए भूपेश बघेल भाई होने का दम दिलासा देते थे, अब देखने आंदोलन स्थल पर क्यों नहीं आते।
बीजेपी का सवाल पूजा से राेकने का अधिकार किसने दिया है
बीजेपी ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है। बीजेपी की ओर से गौरीशंकर श्रीवास आंदोलन में शामिल हुए। बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष गौरीशंकर श्रीवास ने आंदोलनरत लोगों का ज़िक्र करते हुए कहा है कि यही इस सरकार के छत्तीसगढ़िया वाद का असली चेहरा है। ये सरकार छत्तीसगढ़ की बेटियों की ही नहीं सुन रही है। सरकार ही इनकी नही सुनेगी तो ये महिलाएँ और आश्रित आख़िर कहाँ जाएँगें।छत्तीसगढ महतारी की पूजा करने जा रही महिलाओं को रोकने के मसले पर बीजेपी ने सवाल किया है कि, आखिर पूजा करने से रोकने का अधिकार किसने दिया है, किस नियम के तहत पूजा करने जा रही महिलाओं को रोका गया।