Bilaspur। हाईकोर्ट ने यह माना है कि डीजीपी को हवलदार के सीधे ट्रांसफ़र का अधिकार नहीं है। इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने डीजीपी के द्वारा किए गए स्थानांतरण आदेश को ख़ारिज कर दिया।मामला कांकेर के सीटीजेडब्लू का है जहां पदस्थ 9 हवलदार समेत 38 अन्य पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण डीजीपी ने कर दिया।इस स्थानांतरण के पीछे प्रशिक्षण संस्था में अनुशासन कायम रखने का कारण बताते हुए अधिक समय से सीटीजेडब्लू में तैनात कर्मचारियों को रोटेशन कार्यवाही के अंतर्गत ट्रांसफ़र अन्य बटालियन में कर दिया गया।
यह आदेश पुलिस स्थापना बोर्ड से नहीं बल्कि सीधे डीजीपी ने जारी किया था। इस आदेश के विरोध में हाईकोर्ट में अलग अलग याचिका दायर हुई,बीते 27 अक्टूबर 2021 को इन याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने स्थगन दे दिया, और राज्य सरकार को जवाब के लिए नोटिस जारी किया। राज्य ने अपने जवाब में तर्क दिया कि,याचिकाकर्ता विशेष सशस्त्र बल के पुलिसकर्मी हैं, जिनकी सेवाएँ छत्तीसगढ़ विशेष सशस्त्र बल अधिनियम 1968 और छत्तीसगढ़ विशेष सशस्त्र बल नियम 1973 से शासित होते है।इसलिए इन पर छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 22 (2) (क) के प्रावधान लागू नहीं होते।इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्दीक़ी ने रीज्वाइंडर पेश किया, जिसमें यह बताया गया कि, विशेष सशस्त्र बल मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ पुलिस विनियमन के नियम 3 के अंतर्गत आते हैं।अधिवक्ता मतीन सिद्दीक़ी ने बताया
“याचिका का प्रमुख आधार यही था, छत्तीसगढ़ पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 22(2)(क) के प्रावधानों के मुताबिक़ पुलिस निरीक्षक रैंक या नीचे के रैंक के पुलिसकर्मियों की सेवाओं का स्थानांतरण केवल पुलिस स्थापना बोर्ड ही कर सकता है।जबकि इस मामले में जारी ट्रांसफ़र आदेश राज्य के डीजीपी द्वारा किए गए हैं, जिसमें पुलिस स्थापना बोर्ड का अनुमोदन नहीं था।इसलिए डीजीपी को हवलदार के स्थानांतरण करने का अधिकार नहीं है”
इस मामले में जस्टिस पी सैम कोशी ने निर्णय करते हुए डीजीपी द्वारा किए गए उन सभी स्थानांतरण को निरस्त कर दिया।