BILASPUR. छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा असम राज्य से 4 मादा जंगली भैंस लाने के मामले में लगी याचिका पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई है। एक्टिंग चीफ जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की डबल बेंच में याचिका में कहा गया है कि कि छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा असम राज्य से 4 मादा वन भैंस लाई जा रही हैं और उन्हें लाकर पहले से छत्तीसगढ़ के नर वन भैसों से प्रजनन कराने की योजना है। जिस पर हुई सुनवाई में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आगामी आदेश तक असम से मादा वन भैंस लाने पर रोक लगा दी है।
वन भैंसों का जीन पूल दूषित होने की आशंका
बता दें कि इस याचिका में ये कारण दिया गया है कि यदि ऐसा हुआ तो असम और छत्तीसगढ़ के वन भैंसों के अलग-अलग जीन पूल मिक्स हो जाएंगे और ऐसे में जहां छत्तीसगढ़ के वन भैंसों के शुद्धतम जीन पूल मिक्स होने से वन भैंसों के विकृत बच्चे पैदा होंगे, वहीं छत्तीसगढ़ के वन भैंसों का जीन पूल दूषित हो जाएगा। इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के बाद आगामी आदेश तक असम से मादा वन भैंस लाने पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल महीने में रखी गई है।
वन भैंसों को बाड़े में रखकर प्रजनन कराने की योजना
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ वन विभाग ने 3 वर्ष पूर्व अप्रैल 2020 में असम के मानस टाइगर रिजर्व से एक नर और एक मादा सब एडल्ट को पकड़कर छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण में 25 एकड़ के बाड़े में रखा हुआ है। वन विभाग द्वारा इन्हें आजीवन रखना है। छत्तीसगढ़ वन विभाग की योजना ये है कि इन वन भैंसों को बाड़े में रखकर उनसे प्रजनन कराया जाएगा। इसके विरोध में रायपुर के नितिन सिंघवी ने जनवरी 2022 में जनहित याचिका दायर की थी, जो कि लंबित है। बता दें कि वन भैंसा वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के शेड्यूल 1 का वन्य प्राणी है।
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छत्तीसगढ़ वन विभाग ने असम भेजी टीम
होली से पहले मार्च में चार और मादा वन भैंसा लाने के लिए छत्तीसगढ़ वन विभाग ने असम टीम भेजी है। कोर्ट ने आज अगले आदेश तक असम से 4 वन भैंसा आने पर रोक लगा दी है। कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के वन भैंसों का जीन पूल विश्व में शुद्धतम है। असम के वन भैंसा और छत्तीसगढ़ के वन भैंसा के जीन को मिक्स करने से छत्तीसगढ़ के वन भैसों की जीन पूल की विशेषता बरकरार नहीं रखी जा सकेगी।