RAIPUR. हिंदू स्वाभिमान को जागृत करने और सामाजिक समरसता फैलाने के उद्देश्य से 18 फरवरी को छत्तीसगढ़ की चार शक्तिपीठों से शुरू हुई संतों की पदयात्रा कल यानी 19 मार्च, रविवार को समाप्त होगी। समापन समारोह के मौके पर राजधानी रायपुर के रावणभाटा मौदान पर विशाल धर्मसभा होगी। इसमें देशभर से करीब 300 संतों का जमावड़ा होगा। जूना खाड़ा हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज भी इस धर्मसभा में मौजूद रहेंगे। इस पर मंत्री रविंद्र चौबे और अमरजीत भगत ने कहा है कि संतों का स्वागत है, लेकिन उम्मीद है कि धर्मसभा में राजनीति नहीं होगी।
संतों ने 34 जिलों में 4500 किलोमीटर की यात्रा पूरी की
संत पदयात्रा के संयोजक चंद्रशेखर वर्मा ने बताया कि संतों ने छत्तीसगढ़ के 34 जिलों में 4500 किलोमीटर की यात्रा पूरी की है। इस दौरान 1000 गांवों में सभा की गई और लोगों से हिंदू राष्ट्र और मेरा गांव धर्मांतरण मुक्त गांव का संकल्प कराया गया। लोगों को 5 लाख हनुमान चालीसा, लॉकेट और रामचरितमानस की प्रतियां बांटी गईं। रायपुर की 134 बस्तियों में भी संत पहुंचे। पदयात्रा के अनुभव को साझा करते हुए संतों ने बताया कि आदिवासी और सुदूर अंचलों के हिंदू प्यासे बैठे हैं। जरूरत हिंदू धर्म के साधु संतों के उन तक पहुंचने की है। जल्द ही साधू संत उन तक पहुंचेंगे और उन्हें जागृत करेंगे।
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उम्मीद है कि धर्मसभा में राजनीति नहीं होगी
संतों ने कहा कि इस कमी का फायदा ही ईसाई मिशनरियों ने उठाया और लालच, प्रलोभन देकर धर्मांतरित किया। बस्तर के 600 गांव में से 411 गांव में चर्च बन चुके हैं, लेकिन कागज पर एक भी धर्मांतरण का रिकॉर्ड नहीं हैं। ये कैसे हुआ? उधर, इस आयोजन पर कांग्रेस की तरफ से सधी प्रतिक्रिया दी गई है। मंत्री रविंद्र चौबे और अमरजीत भगत ने कहा है कि संतों का स्वागत है, लेकिन उम्मीद है कि धर्मसभा में राजनीति नहीं होगी। लेकिन, आयोजनकर्ता और साधु संतों का जवाब है कि राजनीति नहीं, वो राज्यनीति करेंगे। हिंदू हित और राष्ट्र धर्म की बात होगी