AMBIKAPUR. जिले की पुलिस ने उत्तर प्रदेश से यहां आकर होटल में ठहरे तीन ऐसे ठगों को गिरफ्तार किया है जो कस्टमर नहीं, बल्कि बैंकों को चपत लगा रहे थे। ये अंतरराज्यीय ठग गिरोह ठगी का नया तरीका यानी एटीएम की शटर टेंपरिंग कर वारदात को अंजाम दे रहे थे। अब तक इन्होंने अंबिकापुर के एसबीआई के तीन एटीएम से अलग-अलग ट्रांजेक्शन कर करीब दो लाख 10 हजार रुपये निकाल लिए थे। मामले का खुलासा करते हुए सरगुजा एसपी भावना गुप्ता ने जानकारी दी कि ये आरोपी उत्तर प्रदेश के जालौन से यहां आकर एक होटल में रुके हुए थे। स्टेट बैंक के स्थानीय प्रबंधन को जब शहर में एटीएम की शटर टेंपरिंग करने का पता चला तो अंबिकापुर स्टेट बैंक के कैश ऑफिसर गौतम दास ने पुलिस से मामले की शिकायत की। स्पष्ट था कि कोई बाहरी गिरोह ही इस तरह की वारदात को अंजाम दे सकता है।
120 एटीएम कार्ड बरामद
पुलिस ने होटल संचालकों को अलर्ट कर दिया। ये आरोपी बस स्टैंड के पास स्थित एक होटल में रुके हुए थे, जिसके संचालक ने इनकी संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए उन पर नजर रखी और फिर पुलिस को सूचना दे दी। फिर पुलिस ने उन्हें पकड़कर उनसे सख्ती से पूछताछ की तो पूरे मामले का पता चला। दरअसल, इन ठगों ने पहले 28 नवंबर को एटीएम टेंपरिंग कर कुल 21 ट्रांजेक्शन तो बीते चार दिसंबर को 25 ट्रांजेक्शन किए और कुल दो लाख 10 हजार रुपये निकाल लिए थे। पुलिस ने ठगों के कब्जे से अलग-अलग बैंक के कुल 120 एटीएम कार्ड, एक स्विफ्ट कार, चार मोबाइल और एक लाख 20 हजार रुपये नकद बरामद किया है। आरोपियों के खिलाफ धारा 420 व 120 के तहत कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेज दिया है।
इनकी हुई गिरफ्तारी
पकड़े गए आरोपियों में कपिल विश्वकर्मा पिता अशोक विश्वकर्मा, नीरज निषाद पिता नाथूराम निषाद निवासी कालपी जिला जालौन यूपी व अजय कुमार निषाद पिता छोटेलाल निषाद निवासी सेखपुरगांड़ाद थाना कालपी जिला जालौन यूपी शामिल हैं।
इस तरह वारदात को देते थे अंजाम
पकड़े गए आरोपी एटीएम की शटर टेंपरिंग करने के लिए अलग-अलग व फर्जी नामों से 120 एटीएम कार्ड बनवा रखे हुए थे। ये ज्यादातर एसबीआई के एटीएम को निशाना बनाते थे। ये ठग एटीएम बूथ पर पहुंचकर एक कार्ड मशीन में कार्ड लगाते थे। साथ ही कार्ड की कैश लिमिट के हिसाब से कैश निकालने का प्रोसेस करते। जब रुपये निकलने वाले होते तो ये एटीएम की कैश ट्रे के शटर पर पिन या चाबी लगाकर शटर को बंद कर देते थे। जब कैश बाहर आता तो कैश ट्रे का शटर बंद होने से बाहर नहीं निकल पाते थे। इससे तीन बार शटर से टकराने के बाद वहीं ट्रे में अंदर पड़ा रहता। बैंक के सिस्टम में इसके लिए 20 सेकंड का समय रहता है। इसके बाद कैश वापस मशीन में चला जाता। लेकिन, ठग कैश वापस होने से पहले ही निकाली गई रकम से 80 प्रतिशत रकम निकाल लेते थे और 20 प्रतिशत को ट्रे में छोड़ देते। यह 20 सेकंड बाद वापस हो जाता था। रकम वापस होने के बाद बैंक के रिकॉर्ड में ट्रांजेक्शन फेल बताया जाता। इस तरह चोरी गई रकम का पता ही नहीं चल पाता।