रायपुर ग्रामीण सीट पर जनता के मूड को समझना आसान नहीं, दो बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को मिली सफलता, इस बार किसका पलड़ा भारी

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Vivek Sharma
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रायपुर ग्रामीण सीट पर जनता के मूड को समझना आसान नहीं, दो बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को मिली सफलता, इस बार किसका पलड़ा भारी

RAIPUR. कलचुरी राजा राजा रामचंद्र के पुत्र ब्रह्मदेव राय ने रायपुर की स्थापना की थी। 9 वीं सदी के बाद से रायपुर शहर का अस्तित्व रहा है। जितना समृद्ध यहां का इतिहास है उतना ही दमदार यहां का राजनीतिक परिदृश्य है1 नवंबर 2000 ये वो तारीख थी जिस दिन मध्यप्रदेश से अलग हटकर छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया। देश के इस 26वें राज्य की राजधानी बनी रायपुर। इस राज्य की एक और महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है  रायपुर ग्रामीण जोकि साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। पहली बार इस सीट से बीजेपी के नंदकुमार साहू जीते। नाम भले ही इस विधानसभा का ग्रामीण हो लेकिन राजधानी की सभी औद्योगिक गतिविधियां इसी इलाके से संचालित होती हैं।



प्रोफाइल  







  • 1 नवंबर 2000 में हुआ छत्तीसगढ़ का गठन



  • देश का 26वां राज्य बना छत्तीसगढ़


  • साल 2008 में अस्तित्व में आई रायपुर ग्रामीण सीट


  • बीजेपी के नंदकुमार साहू बनें पहले विधायक


  • इसी इलाके में अधिकांश औद्योगिक गतिविधियों का संचालन 






  • सियासी समीकरण 



     





    इस सीट पर अब तक हुए 3 चुनावों में दो बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी ने जीत का परचम लहराया। साल 2008 में यहां बीजेपी के नंदकुमार साहू ने पहली बार जीत हासिल की। तो वहीं 2013 और 2018 में कांग्रेस के सत्यनारायण शर्मा ने जीत दर्ज की। यहां जनता का मूड भांप पाना दोनों ही पार्टियों के लिए कांटों भरा सफर रहता है। हालांकि यहां कई मुद्दे ऐसे हैं जो कि दोनों ही दलों के लिए चुनौती बने रहते हैं।



     





    जातिगत समीकरण





    रायपुर ग्रामीण सामान्य सीट है। यह मिश्रित मतदाताओं का इलाका है। यहां हिंदू मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक 95 फीसदी है जबकि मुस्लिम समुदाय की संख्या करीब 3 फीसदी है। जातिगत आधारों की बात करें तो यहां साहू मतदाता (पिछड़ा वर्ग ) सबसे ज्यादा माने जाते हैं लेकिन 2008 को छोड़ कर कभी साहू अपना प्रतिनिधि बतौर विधायक नहीं बना सके। इस इलाके में अजा 17.8 फीसदी अजजा 11.7 फीसदी है। औद्योगिक इलाका होने के कारण यहां की अधिकतर आबादी बाहरी है जो यहां के उद्योगों में कार्यरत है।





    मुद्दे 





     इस विधानसभा क्षेत्र में उद्योगों की मौजूदगी के कारण विकास तो आया लेकिन साथ में अपराध और मादक पदार्थों की व्यापक मौजूदगी भी लाया। यहां कानून व्यवस्था के साथ-साथ फर्जी मतदान बीते चुनाव में बड़ा मसला बनकर सामने आया था। अक्सर यहां इस बात पर विवाद खड़ा हो जाता है कि चुनाव से ठीक पहले मतदाताओं की संख्या कैसे बढ़ जाती है। इसके साथ ही जनता ने अपनी कई सारी समस्याएं बताई।





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