जशपुर में पुलिस इंस्पेक्टर ठगों के जाल में फंसा, गंवा बैठा सवा तीन लाख; आरोपियों ने खुद को बैंककर्मी बताकर हड़पी राशि 

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The Sootr CG
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जशपुर में पुलिस इंस्पेक्टर ठगों के जाल में फंसा, गंवा बैठा सवा तीन लाख; आरोपियों ने खुद को बैंककर्मी बताकर हड़पी राशि 

JASHPUR. छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में ठगों का जाल इस कदर फैला है कि आए दिन लोग उनके झांसे में आकर लाखों गंवा बैठ रहे हैं। इसमें कम पढ़े-लिखे लोगों के साथ ही पढ़े-लिखे भी शामिल हैं। पुलिस उन्हें अभियान चलाकर जागरूक करने का काम करती है। लेकिन, जशपुर जिले में तो उल्टा ही मामला हो गया। यहां पुलिस इंस्पेक्टर ही पेनकार्ड और नेट बैंकिंग को लेकर ठगों के झांसे में आ गया और सवा 3 लाख रुपये गंवा बैठा। अब पुलिस जुर्म दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। 





बैंककर्मी बताकर पुुलिसकर्मी से ठगी





मामला जशपुर नगर के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र का है। आदिम जाति कल्याण शाखा के प्रभारी निरीक्षक राम लोचन गुप्ता जब ठगों के जाल में फंस गए तो उन्होंने यहां मामले की शिकायत की। इसमें उन्होंने बताया कि बीते 9 अक्टूबर को उनके मोबाइल पर एक कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को बैंककर्मी बताया और उनके स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बैंक खाते में पैन कार्ड को लिंक करने की बात कही। कारण पूछने पर बताया कि नेट बैंकिंग की सुविधा शुरू करने के लिए ये करना पड़ेगा। 





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3 किस्तों में निकाले 3 लाख 25 हजार





इंस्पेक्टर गुप्ता शातिर ठग के झांसे में आ गए और बैंककर्मी समझकर उसके बताए अनुसार अपने फोन से प्रक्रिया अपनाना शुरू कर दिया। ठग के कहे मुताबिक उन्होंने ऑनलाइन प्रक्रिया अपडेट करते हुए उसे बैंकिंग से जुड़ी सभी गोपनीय जानकारी देते रहे। इसके बाद वे मामला समझ पाते इससे पहले ही तत्काल उनके खाते से तीन अलग-अलग किस्तों में कुल तीन लाख 25 हजार रुपये कट गए। इसके बाद उन्हें ठगी का एहसास हुआ। फिर उन्होंने तत्काल कोतवाली पुलिस को मामले की जानकारी दी। उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 420 के तहत अपराध दर्ज कर लिया। इसके साथ ही मामले की जांच शुरू कर दी। इसके लिए साइबर यूनिट से भी मदद ली जा रही है, ताकि जालसाजों का पता लगाया जा सके।





कैसे सुरक्षित रहें आम लोग





अब पुलिस इंस्पेक्टर के ठगी का शिकार होने के बाद लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि आम लोग तो ठगों के झांसे में आ ही जाते हैं, क्योंकि ठग भी परंपरागत तरीकों से लोगों के परिचित होने के बाद नए-नए तरीके अपना लेते हैं। लेकिन, पुलिस वालों को तो इन सबकी जानकारी होनी ही चाहिए। कम से कम इतना तो पता होना ही चाहिए कि किसी भी अनजान व्यक्ति को फोन पर कौन— कौन सी गोपनीय जानकारी देनी है और कौन सी नहीं। उसके बाद भी एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी ठगी का शिकार हो गया। ऐसे में आम लोगों की क्या बिसात।



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