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JASHPUR. जिले के बगीचा वन परिक्षेत्र में फिर एक हाथी की मौत हो गई है। सिंचाई के लिए लगाए गए बिजली कनेक्शन की चपेट में आने से उसकी मौत होने की बात कही जा रही है। लेकिन, उसके मुंह पर चोट के निशान भी पाए गए हैं, जो करंट से ही संभव हो ऐसा नहीं लग रहा। इससे उस पर हमले की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
हाथी-मानव द्वंद्व का मामला
पिछले कुछ समय से उत्तरी छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में हाथियों की मौत की खबर आती रही है। बीच-बीच में उनके हमले से इंसानों की भी मौत हुई है। कुल मिलाकर मामला हाथी-मानव द्वंद्व का है। ऐसे में हाथी प्राकृतिक रूप से या मानव निर्मित व्यवस्था का शिकार होकर दुर्घटना में तो मारे ही जा रहे हैं। साथ ही उन्हें सुनियोजित तरीके से भी मारा जा रहा है। इन सबके बीच वन विभाग का काम घटना के बाद जांच और पोस्टमार्टम तक सीमित रह गया है।
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करंट से या जानलेवा हमला से हाथी की मौत ?
जशपुर जिले में वन विभाग को 28 दिसंबर बुधवार को सूचना मिली कि जिले के बगीचा वन परिक्षेत्र स्थित कुरडेग में एक हाथी की मौत हो गई है। दरअसल, जिस जगह पर हाथी की लाश पड़ी है उसके ऊपर से बिजली कनेक्शन का तार गुजरा है। इसे सिंचाई के लिए खींचा गया है। माना जा रहा है कि हाथी की मौत इसी तार के संपर्क में आने से हुई है। मृत हाथी जमीन पर पड़ा देखकर गांव के लोगों की भीड़ वहां जुट हुई। इस बीच किसी ने वन विभाग को इसकी जानकारी दी। टीम मौके के लिए रवाना हो गई। इस बीच ग्रामीणों ने हाथी के मुंह पर चोट के निशान होने की भी बात बताई। इससे वन अमला भी सोच में पड़ गया है। अब पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के असली कारणों का पता चलने की बात कही जा रही है, कि आखिर मौत करंट से हुई है या फिर उस पर जानलेवा हमला किया गया है।
वन्य प्राणियों की लगातार हो रही मौत
हाथी की मौत का इस क्षेत्र में पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी जशपुर जिले के कई वन परिक्षेत्र और सरगुजा के कई जिलों में इस तरह के मामले लगातार सामने आए हैं। इसने हाथियों की सुरक्षा और प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।