जजासूमं की बडी रैली में दो टूक − जो धर्मांतरित उन्हें जनजातीय सूची से बाहर करें

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Yagyawalkya Mishra
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जजासूमं की बडी रैली में दो टूक − जो धर्मांतरित उन्हें जनजातीय सूची से बाहर करें

Bastar।जनजातीय सुरक्षा मंच के बैनर तले नारायणपुर में एक वृहद सम्मेलन ने ध्यान खींचा है। माओवादी गतिविधियों के गढ़ की वजह से अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बनने वाले बस्तर इलाक़े में जनजातीय मंच के बड़े सम्मेलन ने कई संकेत दिए हैं।तीन हज़ार के आँकड़े को भी पार कर उमड़ी आदिवासियों की यह भीड़ बैनर पोस्टर हाथ में लिए हुए थी जिसमें लिखा गया था -





“भारत भूमि की संवैधानिक आस, डी लिस्टिंग क़ानून करो पास”





    इन सम्मेलन में जो एक सूत्रीय माँग पूरजोर तरीक़े से मंच से कही गई और नारों के रुप में दोहराई गई वह थी कि आदिवासियों के बीच वे लोग जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है, उन्हें जनजातीय लाभ की श्रेणी से बाहर किया जाए।इस सभा में धर्मांतरण के मसले का भी ज़िक्र हुआ जिसे लेकर बस्तर के भीतरी हिस्सों में लगातार विवाद और झड़प की खबरें आ रही हैं।बस्तर के आदिवासियों के बीच मिशनरियों की दखल और धर्मांतरण के मसले को लेकर विवाद इस कदर गहरा रहा है कि, बीते समय में बस्तर संभाग में पदस्थ एक एसपी ने पत्र जारी कर मिशनरियों उनके द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण और उस वजह से स्थानीय आदिवासियों में पनप रहा ग़ुस्से विवाद का ज़िक्र करते हुए चिंता ज़ाहिर की थी।इस पत्र के बाद वहीं पदस्थ राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का पत्र भी चर्चाओं में रहा जो जनजातीय वर्ग का होने के नाते जनजातीय समाज में बेहद सक्रिय रहते हैं और उन्होंने भी मिशनरियों की गतिविधियों पर चिंता जताते हुए इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाने की जरुरत पर बल दिया था।





   बस्तर के अलग अलग ज़िलों में धर्मांतरण कर चुके ग्रामीणों और जनजातीय वर्ग के सदस्यों के बीच हिंसक टकराव दर्ज किया जा चुका है।हालिया दिनों में बीजापुर में एक हत्या ने भी मिशनरीज और आदिवासी समुदाय के बीच चल रहे संघर्ष की ओर ध्यान खींचा है।छोटे छोटे मगर लगातार हो रहे विवादों के बीच नारायणपुर में आयोजित इस सभा में आदिवासियों की नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकने वाली उपस्थिति और जनजातीय सुरक्षा मंच के बैनर तले हुई सभा संकेत दे रही है कि बस्तर में समस्या केवल माओवाद ही नहीं है, बल्कि जल जंगल ज़मीन के साथ साथ अपनी संस्कृति के प्रति बेहद संवेदनशील जनजातीय वर्ग का ग़ुस्सा भी है,बहुत कुशलता से इस गुस्से को एक मंच और बैनर के तले ले आया गया है।





क्या है जनजातीय सुरक्षा मंच



  जनजातीय याने आदिवासी वर्ग के धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर मसला पुराना है। बिहार के विख्यात जनजातीय नेता कार्तिक उरांव जी ने 1966-67 में इस मुद्दे पर अभियान छेड़ा कि, जनजातीय वर्ग को मिलने वाले लाभ उन्हें दिए जा रहे हैं जो धर्मांतरण कर चुके हैं।उन्हें इसका लाभ नहीं दिया जा सकता,इस मामले में संवैधानिक प्रावधान हो। तब कार्तिक उराँव जी ने 235 सांसदों के हस्ताक्षर का पत्र प्रधानमंत्री को सौंपा था।10 नवंबर 1970 को उन्होंने फिर इस मुद्दे को उठाया और फिर ज्ञापन सौंपा।लेकिन तब भी कुछ हुआ नहीं और इसी मसले को लेकर 30 अप्रैल 2006 को जनजातीय सुरक्षा मंच का गठन हुआ।दावा है कि इस मंच के गठन के समय देश के 14 राज्यों के 85 जनजातीय प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया।यह मंच देश के कई राज्यो में सक्रियता का दावा करता है और उसका विषय केंद्रित है जनजातीय लोगों में से जो धर्मांतरित हो गए उन्हें जनजातीय वर्ग को मिलने वाली सुविधा से दूर करना।





जजासु का प्रदर्शन और भाजपा



जनजातीय सुरक्षा मंच सीधे तौर पर भाजपा से संबंध नहीं स्वीकारता, लेकिन उसे भाजपा के अनुषांगिक संगठन के रुप में देखा जाता है। जशपुर समेत उत्तरी छत्तीसगढ़ में जनजातीय सुरक्षा मंच की सक्रियता नज़र आती रही है। वहाँ भी मुद्दा धर्मांतरण का विरोध और धर्मांतरण कर चुके लोगों को जनजातीय लाभ से वंचित करना ही है। लेकिन बस्तर में जजासु की सक्रियता बल्कि इस कदर समर्थन ने कइयों को हैरान किया है। नारायणपुर में आयोजकों में एक रहे बस्तर के क़द्दावर आदिवासी नेता बलिराम कश्यप के पुत्र जो पंद्रह सालों तक मंत्री रहे वे  केदार कश्यप,इस मंच को लेकर यह दावा करते हैं कि



“बस्तर में जिस तरह से धर्मांतरण हो रहे हैं आदिवासी समाज की संरचना को बाधित किया जा रहा है उसने आक्रोश बढ़ाया है,और जनजातीय सुरक्षा मंच की सक्रियता कोई आज की नहीं है, लेकिन अब मुखरता से आंदोलन हुआ तो ध्यान गया है।इसका किसी राजनैतिक दल से संबद्धता सोचना ग़लत है, यह विशुद्ध सामाजिक मंच है”



   नारायणपुर इलाक़े में आयोजित इस सभा में जनजातीय समाज की मौजूदगी को लेकर आयोजकों का दावा है कि यह आँकड़ा सात हज़ार से ज़्यादा था।जजासु को लेकर केदार कश्यप कह तो रहे हैं कि यह सामाजिक संगठन है, लेकिन यह मामला जो कि जजासु उठा रहा है, वह भाजपा के लिए मुफ़ीद है। छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश संगठन प्रभारी डी पुरंदेश्वरी पत्रकारों से कह चुकी हैं कि जो मुद्दे छत्तीसगढ़ में ज्वलंत हैं उनमें जनजातीय समाज का धर्मांतरण है। डी पुरंदेश्वरी क़रीब सप्ताह भर का दौरा बस्तर में कर चुकी हैं, और खबरें हैं कि वे बहुत जल्द बस्तर फिर पहुँच कर कार्यकर्ताओं के बीच सीधा संवाद करेंगी।



  कांग्रेस के तीखे तेवर



   धर्मांतरण के मसले पर भाजपा लगातार कांग्रेस को घेरने की कवायद कर रही है, लेकिन बीते दिनाें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो टूक कहा था



किसी भी व्यक्ति को बलपूर्वक यदि धर्मांतरण कराया गया हो तो एक नाम बता दें,हल्ला भाजपा करती है धर्मांतरण का, और कानून हमने बनाया। आंकडों की बात करेंगे तो भाजपा शासनकाल देख लें बहुत सी भ्रांति दूर हो जाएगी। हमने कानून बनाया और सही घटना हुइ तो कार्यवाही भी करेंगे, लेकिन धर्म के आधार पर समाज को तोडने या कि, विभेद फैलाने की कवायद स्वीकार नही की जाएगी।



  




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