KORBA. कोरबा में दो अलग-अलग विभागों में अलग-अलग आदेश आए हैं, लेकिन दोनों में समानता ये है कि दो प्रभावशाली अफसरों पर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई हुई है और दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है। एक जनपद पंचायत के सीईओ के खिलाफ जहां कोरोनाकाल में आए पैसे को खाने के मामले में कार्रवाई हुई है तो वहीं रेंजर ने बांस के पौधों का रोपण कराए बिना ही राशि हड़प ली थी, जिस पर कार्रवाई की गई है।
यह है पूरा मामला
पहले आदेश के तहत जनपद पंचायत कोरबा के सीईओ जीके मिश्रा को सस्पेंड किया गया है। इस सीईओ पर कोरोना काल के दौरान एकल हस्ताक्षर के जरिए लाखों रुपए का आहरण करने और उसकी बंदरबाट करने का आरोप लगाया गया था। दरअसल, इस मामले की पूर्व गृहमंत्री और रामपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक ननकीराम कंवर ने की थी। इसके बाद पूरे मामले को जांच में लिया गया। वहीं 25 नवबंर को उप सचिव एम रेसिया खेस्स की ओर से आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि वर्ष 2019-20 में सीईओ जीके मिश्रा पर जनपद पंचायत करतला में पदस्थापना के दौरान गड़बड़ियां की गई है। इसमें कोरोना के लिए आए फंड के अलावा सीसी रोड निर्माण कार्यों, हाई स्कूल की बाउंड्रीवाल निर्माण आदि में वित्तीय गड़बड़ियां कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की पुष्टि हुई है। ऐसे में तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित किया जाता है। पत्र में यह भी कहा गया है कि जीके मिश्रा का मुख्यालय निलंबन अवधि में कार्यालय आयुक्त, आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास इंद्रावती भवन नया रायपुर होगा।
सुर्खियों में आए थे रेंजर मृत्युंजय
रेंजर मृत्युंजय शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने कटघोरा वनमंडल के बांकीमोंगरा वन क्षेत्र में प्रतिबंध अवधि होने के बाद भी बांस की कटाई कराई थी। इसके अलावा एक करोड़ 38 लाख रुपए कीमत के पौधों का रोपण कराए बिना ही फंड की बंदरबांट की गई थी। जब जांच की गई तो पता चला कि जितने पौधे लगाए गए वह 10 फीसद से भी कम थे। तब शर्मा की नियुक्ति पाली में डिप्टी रेंजर के पद पर थी। कई और अनियमितताओं का पुलिंदा खुला और कुल चार करोड़ 51 लाख 40 हजार 54 रुपए के बताए कार्य में मौके पर दो करोड़ 63 लाख आठ हजार 857 रुपए का काम भौतिक सत्यापन में मिला। यानी एक करोड़ 38 लाख से ज्यादा का भुगतान दिखाकर एक करोड़ 38 लाख रुपए की गड़बड़ी की गई थी। ऐसे में मुख्य वन संरक्षक के आदेश पर रेंजर मृत्युंजय क निलंबन किया गया है।