Raipur।किसान शुरूआती दाैर से जैविक खाद का इस्तमाल करते थे, रासायनिक खादों पर निर्भरता कम थी,खेती के लिए मिट्टी को पलटना जैसी कई परंपरागत प्रक्रिया का पालन करते थे,यह परंपराएं अक्षय तृतीया पर आज भी गांव में देखने को मिलती हैं,अक्षय तृतीया किसान के लिए नए फसल वर्ष की शुरूआत है,इस दिन किसान बीज बोने की शुरूआत करता है।लेकिन ज्यादा उपज के प्रबंधन के फेर ने किसानों को जिस समस्या से रूबरू कराया है, वह है मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी,इसके लिए सरकार जो कवायद कर रही है वह है जैविक खाद के उपयोग के साथ गाै मूत्र और इस तरह की जैविक तत्वाें की उपयाेगिता के प्रति किसानों को फिर से प्रेरित करना। कल याने अक्षय तृतीया को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस कवायद को अभियान के रूप में शुरू करेंगे। इस आयोजन का नाम माटी पूजन दिवस रखा गया है। यह अभियान केवल जैविक तत्वाें गो मूत्र गोबर खाद तक सीमित नही है, इस अभियान में रासायनिक खाद से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूकता फैलाना, और ना केवल मानव बल्कि पशु आहार को भी हानिकारक रसायन से मुक्त करना शामिल है।
भूपेश सरकार की फ्लैगशीप याेजना नरवा गरूआ,घुरूआ बाड़ी की थीम भी यही ही थी। इस याेजना में नरवा का अर्थ है नाला,गरूआ का अर्थ पशु और गोठान,घुरवा का अर्थ उर्वरक जबकि बाड़ी के मायने हुए है बगीचा जिनके संरक्षण से भूजल रिचार्ज,गैर रसायनिक खेती मवेशियाें की उचित देखभाल जैसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के आधार सूनिश्चित हो, सरकार का दावा है कि, इस योजना से आशातीत सफलता मिल रही है, हालांकि विपक्ष इस याेजना के मद और सरकार के सफलता के दावे को लगातार प्रश्नांकित करता रहा है। इस याेजना में ही गोबर से जैविक खाद तैयार करने की कवायद थी। माटी पूजन दिवस इसी गाैठान से सीधा जूड़ाव रखता है।
इन्ही गाैठानों में निर्मित जैविक खाद और वर्मिकम्पोस्ट में पोषक तत्वों के मात्रा प्राकृतिक रूप से बढ़ाने एवं रासायनिक उर्वरता कम करने हेतु इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ बायोटेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी के संयुक्त प्रयास से प्रभावी मित्र सूक्ष्म जीवों युक्त उर्वरा शक्ति नामक तरल जैविक कल्चर तैयार किया गया है, जिसके उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा और पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ेगी साथ ही रासायनिक खाद की आवश्यकता में कमी आएगी। उर्वरा शक्ति का जैविक कल्चर सभी गाैठानों में तैयार हो रहे वर्मी कंपोस्ट को समृद्व करेगा। इसका उपयाेग किस तरह करें इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है।
कल मुख्यमंत्री बघेल इसी जैविक तत्वाें की उपयाेगिता के जरिए मिट्टी की उर्वरा शक्ति के पुनर्जीवन हेतु रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों के बदले वर्मी कम्पोस्ट खाद के उपयोग के साथ गौ-मूत्र एवं अन्य जैविक पदार्थो के उपयोग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए माटी पूजन दिवस के रूप में अभियान शुरू करेंगे,जाहिर है इस अभियान में रूचि लाने के लिए कल हल चलाते हुए मिटटी पलटने की कवायद करते भी लोग दिख जाएं तो अचरज नही होना चाहिए। अक्षय तृतीया को परंपरागत तरीके से पूजा के साथ जैविक खेती की ओर लाैटने की कवायद अनूठी है जो कुछेक दिलचस्प नजारे भी नुमाया करा सकती है।