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RAJNANDGAON/BILASPUR. जूनियर डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा ठप पड़ी है। हालात यह है कि मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। वहीं आज जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल परिसर के गेट में बैठकर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की।
'शौक नहीं मजबूरी है, ये हड़ताल जरूरी है'
राजनांदगांव शहर के पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में नाटक के माध्यम से जूनियर डॉक्टरों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए मानदेय में बढ़ोतरी और 2 साल के बाउंड को 1 वर्ष करने की मांग की। इस दौरान उन्होंने "शौक नहीं मजबूरी है, ये हड़ताल जरूरी है" के नारे लगाएं। वहीं तुम तो धोखेबाज हो वादा करके भूल जाते हो गाने पर प्रदर्शन किया। इस दौरान जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने हमारी मांगों का पत्र मुख्यमंत्री को भेजा है। इसके बाद भी अब तक उनकी मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
हड़ताल से भटकने को मजबूर मरीज
जूनियर डॉक्टरों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से मरीजों को भटकना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज में अधिकांश चिकित्सा व्यवस्था जूनियर डॉक्टरों के कंधे पर ही होती है, वे समय-समय पर मरीज का हालचाल पूछने वार्डों तक जाते हैं। ऐसे में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अस्पताल के भीतर चिकित्सा व्यवस्था ठप पड़ी है। अपने प्रदर्शन के दौरान जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि अन्य प्रदेशों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में सबसे कम मानदेय दिया जा रहा है। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते पर्ची काउंटर पर भीड़ है और ओपीडी डॉक्टर के बिना खाली है। मरीजों का कहना है कि वे इलाज के लिए भटक रहे हैं।
अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टर
अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए जूनियर डॉक्टर प्रतिदिन अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। 2 सालों से मानदेय बढ़ाने के लिए जूनियर डॉक्टर सरकार से बातचीत का प्रयास कर रहे हैं लेकिन मानदेय में बढ़ोतरी नहीं होती देख जूनियर डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है।
बिलासपुर में 2 दिनों से सांकेतिक हड़ताल
बिलासपुर में भी 4 सालों से स्टाइपेंड में बढ़ोतरी ना किए जाने पर आक्रोशित इंटर्न, पीजी और जूनियर डॉक्टर शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। छत्तीसगढ़ के करीब 3 हजार जूनियर डॉक्टर, इंटर्न और पीजी डॉक्टर 2 दिनों के सांकेतिक हड़ताल के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं। इनकी मांग है कि अन्य राज्यों की तुलना में उन्हें सबसे कम मानदेय दिया जा रहा है।
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मरीजों को हो रही परेशानी
जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि पिछले 4 सालों से इसमे कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। प्रदेशभर के जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से सरकारी अस्पतालों की सूरत इन दिनों बिगड़ी हुई है। हड़ताल के पांचवे दिन बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स में दूरदराज गांवों से आए मरीजों और उनके परिजन को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से जांजगीर चम्पा से आए मरीज को हड़ताल के कारण अस्पताल में दाखिल नही किया गया। इसके बाद मरीजों के परिजन के द्वारा अस्पताल में हंगामा मचाए जाने के बाद मरीज को भर्ती किया गया। अगर इसी तरह के हालात बनी रहे तो स्थिति और बिगड़ सकती है।