KANKER. छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच, कांकेर में अंधविश्वास का खेल देखने को मिला। दरअसल, इलाज के नाम पर गांव के बैगा ने मानसिक रोगी बच्ची को बेड़ियों से जकड़ दिया। करीब 10 दिन तक सड़कों पर ऐसे ही बेड़ियों के साथ घूमती रही और दर्द से कराहती रही। इस दौरान कुछ लोगों की नजर पड़ी तो उन्होंने ने इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी। इसके बाद प्रशासन की टीम ने बालिका को इस बेड़ियों से आजाद कराया। इसके साथ ही बैगा को दोबारा इस तरह इलाज करने मना करते कार्रवाई की चेतावनी दी गई। हालांकि बेड़ियों से आजाद की गई बालिका को उसके परिजनों को सौंप दिया।
लोगों ने की जिला प्रशासन को शिकायत
जानकारी के अनुसार भानुप्रतापपुर इलाके की एक मानरोगी बालिका को परिजन इलाज के लिए सरोना के बैगा कोमल नायक के यहां लेकर पहुंचे थे, जहां बैगा ने इलाज के नाम पर बालिका को बेड़ियों में जकड़ दिया। इसके बाद पिछले 10 दिनों से बालिका बेड़ियों में ही यहां-वहां घूमती रही। सड़क किनारे बेड़ियों में जकड़ी बालिका पानी की बोतल लेकर जब घूमने लगी तो लोगों की उस पर नजर पड़ी, जिसे देख किसी ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की। सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने टीम गठित कर जांच व कार्रवाई के लिए टीम सरोना भेजा है। टीम में शामिल अधिकारी कर्मचारियों ने इसकी जांच की और शिकायत सही पाई गई। इसके बाद बालिका को बेड़ियों से आजाद कराया गया है। बताया गया कि बैगा पिछले 20 साल से यहां मनोरोगियों का इसी तरह इलाज कर रहा है।
झाड़-फूंक और जड़ी-बूटी से किया जा रहा था इलाज
वहीं, इस मामले में महिला एवं बाल सरंक्षण अधिकारी रीना लारिया ने बताया सरोना में एक बैगा ने मानसिक रूप से कमजोर लड़की के पैरों में बेड़ियां लगा दी थी। बैगा से पूछताछ में बताया कि लड़की भानुप्रतापपुर क्षेत्र की रहने वाली है। जो मानसिक रूप से कमजोर है। मानिसक रूप से कमजोर होने के कारण लड़की बार-बार भाग जाती थी। इसका इलाज झाड़-फूंक और जड़ी बूटी के जरिए किया जा रहा था।