RAIPUR. रोहिंग्या मुसलमान को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के दिए बयान पर नेताप्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि उनका बयान हमने सुना है। बयान में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ का दर्द बयां किया है। हम उनसे सहमत है। इससे पहले भी हम सरकार से आग्रह किए थे कि विशेष जाति और समुदाय के लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो जानकारी हमें मिल रही है कि जो अपराध छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे हैं। उसमें भी इनकी भूमिका सामने आ रही है। इनको कौन बसा रहा है? कौन ला रहा है? इसकी जांच होनी चाहिए।
वादा पूरा करने कहां से आएगा पैसा
मीडिया से चर्मुचा करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने सीएम भूपेश बघेल के भेंट मुलाकात पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भेंट मुलाकात में निकले है लेकिन उसमे परिणाम क्या आ रहे है? जनता को फायदा क्या हो रहा है? 5 महीने बाद आचार संहिता लग जायेगी । वर्ष 21-22 के बजट में जो प्रावधान था उसके काम हुए नही हैं। मुख्यमंत्री को जनता से संवाद करना चाहिए अच्छी बात है, लेकिन जो वादा करके आ रहे हैं कैसे पूरा करेंगे। इनके लिए पैसा कहां से आएगा ये भी बताया चाहिए।
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शैलजा मंत्रियों के साथ करेंगी बैठक
वहीं कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा के दौरे और बैठकों पर नारायण चंदेल ने तंज कसते हुए कहा कि मुझे लगता है, ये जो घोटाले की लपटें उठी हुई है इसकी जानकारी लेंगी। आगामी चुनाव की समीक्षा बाद में होंगी। बता दें कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा कल रायपुर आएंगी। कुमारी शैलजा कल मंत्रियों की बैठक लेंगी। बैठक में सीएम भूपेश बघेल भी शामिल होंगे। इसके बाद वे गुरुवार को सभी महापौर की बैठक लेंगी।
ये कहा था शंकराचार्य ने
बता दें कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में एक बार फिर बड़ा बयान दिया। इस बार शंकराचार्य ने छत्तीसगढ़ में धार्मिक विवाद और अशांति को लेकर सरकार को सजग रहने कहा है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश में अशांति का वातावरण रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थियों की ओर से फैलाई जा रही है। वो यहां पर आकर जमीन खरीद रहे हैं, घर बना रहे हैं और आग लगाने का काम कर रहे हैं। इसके कारण प्रदेश में अशांति पनप रही है। इसका मूल कारण रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थी हैं, जिनके कारण यहां धार्मिक विवाद उत्पन्न होता है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।