RAIGARH. रायगढ़ में आज (1 जून) से राम ही राम सुनाई देगा। दरअसल प्रदेश में पहली बार रायगढ़ में आज से तीन दिवसीय राष्ट्रीय रामायण महोत्सव की शुरुआत होगी। हनुमान चालीसा के पाठ के साथ सीएम भूपेश बघेल रायगढ़ के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में महोत्सव का शुभारंभ करेंगे। इस महोत्सव में देश के 12 राज्यों के अलावा इंडोनेशिया और कंबोडिया के रामायण दल रामकथा पर भक्तिपूर्ण प्रस्तुति देंगे। रामायण दलों की इन प्रस्तुतियों में रामकथा के विविधतापूर्ण राष्ट्रीय और वैश्विक स्वरूपों की झलक देखने को मिलेगी। रामायण के अरण्य काण्ड पर रामायण दलों की प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कलाकार भजन संध्या में अपनी संगीतमय प्रस्तुति देंगे। इसके साथ ही सामूहिक हनुमान चालीसा और भव्य केलो आरती का आयोजन भी होगा और दीपदान भी किया जाएगा।
इतने राज्यों के कलाकार देंगे प्रस्तुति
जानकारी के अनुसार इस राष्ट्रीय महोत्सव में केरल, कर्नाटक, ओडिशा, असम, गोवा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखण्ड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के रामायण दल शामिल हो रहे हैं। राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के अंतिम दिन, 3 जून को हिन्दी के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास ‘अपने-अपने राम म्यूजिक नाइट’ से भगवान श्राम की महिमा का बखान करेंगे। मान्यता है कि वनवास के दौरान राम छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य से गुजरे थे। छत्तीसगढ़ के वन इसी दंडक अरण्य का भाग माने जाते हैं। महोत्सव में मानस मंडली के कलाकार दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक और विदेशों से आने वाली मानस मंडली रात 8 से 10 बजे तक प्रस्तुति देंगे। इसमें अरण्यकांड पर केंद्रित प्रसंगों पर विभिन्न राज्यों से आए मानस दलों के साथ ही विदेशी दलों की ओर से रामायण की प्रस्तुति दी जाएगी।
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ये प्रस्तुतियां दर्शकों का मन मोह लेंगी
जानकारी के अनुसार असम में सप्तकाण्ड रामायण असमिया रामायण है। इसे 14वीं शताब्दी में असम के भक्तकवि माधव कंदलि ने संस्कृत से अनूदीत किया था, जिसकी प्रस्तुति होगी। कर्नाटक में रावण के कारण सिर्फ बैजनाथ ज्योतिर्लिंग ही नहीं, दक्षिण भारत में भी शिवलिंग स्थापित हुआ था। इसका भी मंचन किया जाएगा। इसके साथ ही नेपाल की भानुभक्तकृत रामायण और सुंदरानंद रामायण, कंबोडिया की रामकर, तिब्बत की तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तान की खोतानी रामायण, इंडोनेशिया की ककविन रामायण, जावा की सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग और पातानी रामकथा, इण्डोचायना: रामकेर्ति (रामकीर्ति) और खमेर रामायण, बर्मा (म्यांमार) की यूतोकी रामयागन, थाईलैंड की रामकियेन का मंचन किया जाएगा।