DANTEWADA. अरनपुर में हुए ब्लास्ट मामले में एक नया तथ्य फिर से सामने आया है। बच्चों ने जिस जगह पर बैरियर लगाकर जवानों की गाड़ी को रोका था, उसी बैरियर से चंद कदम की दूरी पर झाड़ियों में दो लोगों का भोजन रखा हुआ है। कहा जा सकता है कि इस घटना को अंजाम देने के लिये यदि नक्सलियों को लंबा समय उस जगह पर बिताना पड़ता तो भी वे पीछे नहीं हटते।
नक्सली इस जगह पर घंटों पहले ही आ चुके थे
यही वजह है कि नक्सली रात का भोजन अपने साथ लेकर आए थे। बैरियर से थोडी दूरी पर एक झोले में दो टिफिन रखा हुआ है। इस टिफिन में चावल और सब्जी रखी हुई है। इसके पास ही एक थाली पड़ी हुई है, साथ ही एक पानी का बाटल भी इस जगह पर रखी है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि नक्सली इस जगह पर घंटों पहले ही आ चुके थे। आम तौर पर आदिवासी इलाकों में सुबह सात बजे के वक्त ही भोजन कर लिया जाता है और रात का खाना भी वे शाम 6 से 7 बजे खाते हैं। बीते पांच दिनों से पुलिस विभाग के अफसर व जवान इस जगह का रोजाना मुआयना कर रहे हैं लेकिन इस पर अब तक किसी की नजर नहीं पड़ी है।
यह खबर भी पढ़ें
नक्सलियों के कहने पर बच्चों ने जवानों को करीब 5 मिनट तक रोके रखा
बता दें कि अरनपुर घटना में भी बाल संघम के सदस्यों के होने के अनुमान लगाए जा रहे थे। हालांकि, 26 अप्रैल को अरनपुर में हुए नक्सली ब्लास्ट में घटनास्थल से 60 मीटर दूर छोटे-छोटे मासूम बच्चों के द्वारा जवानों के वाहन को रोके जाने से कयास लगाए जा रहे थे। आशंका जताई जा रही है कि यह बच्चे नक्सलियों के बाल संघम तो नहीं थे जिन्होंने नक्सलियों के कहने पर जवानों को करीब 5 मिनट तक रोके रखा।
ग्रामीणों ने चंदा लेने के लिए नाका बनाया हुआ थाः आईजी
आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि अरनपुर से दंतेवाड़ा निकलते वक्त करीब तीन जगह ग्रामीणों ने आमा पंडुम त्योहार मनाने और चंदा लेने के लिए नाका बनाया हुआ था, ऐसे में जांच की जा रही है कि इनमें बच्चे या बड़े जरूर नक्सलियों के सूत्रधार हो सकते हैं। फिलहाल यह जांच का विषय है और पुलिस इस पहलू से भी घटना की जांच कर रही है।