कांकेर के पोरियाहुर गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं, गांव तक नहीं आती एंबुलेंस; मरीज को खाट पर ले जाना पड़ता है पखांजुर अस्पताल

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Rahul Garhwal
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कांकेर के पोरियाहुर गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं, गांव तक नहीं आती एंबुलेंस; मरीज को खाट पर ले जाना पड़ता है पखांजुर अस्पताल

रेणु तिवारी, KANKER. भले ही सरकार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में विकास के लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। देश की आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी अपने गांवों में  मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। ग्राम पंचायत श्रीपुर के आश्रित गांव पोरियाहुर के रहने वाले विष्णु गावड़े की तबियत खराब होने के चलते इलाज के लिए ले जाने के लिए चारपाई पर लादकर 8 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा, तब जाकर कहीं एम्बुलेंस आई और मरीज को पखांजुर अस्पताल पहुंचाया जा सका।



कांवड़ पर टिकी आदिवासियों की जिंदगी



कांकेर के अंदरूनी ग्रामीण अंचलों में आज भी आदिवासियों की जिंदगी एक कांवड़ पर टिकी हुई है। बीते कई सालों से गांव के बीमार मरीजों को ग्रामीण इसी कांवड़ के सहारे स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों तक पहुंचाते हैं। इस दौरान कई बार समय पर नहीं पहुंचने के चलते मरीजों की जान भी चली जाती है।



मरीज के परिजन ने सुनाई आपबीती



मरीज के परिजन ने बताया कि विष्णु गावड़े को रात 3 बजे अचानक से उल्टी, दस्त और पेट दर्द शुरू हुआ था, लेकिन रात ज्यादा होने के कारण डॉक्टर तक पहुंचा नहीं पाए। सुबह होते-होते मरीज की हालत और बिगड़ती गई जिससे ग्रामीणों ने 108 एंबुलेस को कॉल किया एंबुलेस सुबह 8:30 बजे तक बारकोट नदी तक पहुंच गई, लेकिन ग्रामीणों ने समय पर मरीज को एंबुलेस तक पहुंचा नहीं पाए, क्योंकि खाट पर लादकर मरीज को नदी के घाट तक पहुंचाना था। इसके बाद एंबुलेस वापस चली गई। कुछ देर बाद जैसे ही ग्रामीण मरीज को बारकोट घाट तक पहुंचाने  के बाद देखा कि एंबुलेंस नहीं है तो फिर से 108 को कॉल किया, लेकिन समय पर नहीं पहुंचने से ग्रामीण थके-हारे खाट पर लादकर ही 2 किलोमीटर संगम तक पहुंचे। इसके बाद फिर से एंबुलेंस को बुलाया गया और पखांजुर अस्पताल पहुंचाया गया। परिजन ने कहा कि एम्बुलेंस समय पर एंबुलेंस नहीं आने के कारण उन्हें 8 किलोमीटर मरीज को खाट पर लादकर लाना पड़ा है।



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ग्रामीण कई दिनों से कर रहे स्वास्थ्य केंद्र की मांग



गर्मी का मौसम हो या बारिश का, क्षेत्र के ग्रामीणों को अचानक स्वास्थ्य खराब होने से हमेशा से ही परेशानी उठानी पड़ती है। हल्की सर्दी हो या तेज बुखार सबसे ज्यादा अंदरूनी इलाके के ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद ही दवाई नसीब होती है। ग्रामीण लंबे समय से स्वास्थ्य केंद्र की मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें इलाज की सुविधा मिल सके।


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