Raipur। परसा कोल ब्लॉक को लेकर राज्य सरकार से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने पत्र भेजकर यह जानकारी माँगी है कि, सरकार यह बताए कि हसदेव अरण्य के परसा कोल ब्लॉक में कोयला खनन और पेड़ों की कटाई के मसले पर एनबीडब्लूएल और एनटीसीए का अनिवार्य अनुमोदन लिया गया या नहीं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने राज्य सरकार के चीफ वाइल्डलाइफ़ वार्डन को जल्द से जल्द तथ्यात्मक रिपोर्ट प्राधिकरण को भेजने के लिए कहा है।
क्या है मसला
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने हसदेव अरण्य और परसा कोल ब्लॉक में कोयला उत्खनन को राज्य सरकार द्वारा अनुमति देने का ज़िक्र करते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को यह शिकायत की है कि,हसदेव अरण्य कान्हा भोरमदेव और अचानकमार टाइगर रिज़र्व से सीधे तौर पर जुड़ा है और कॉरिडोर है।भारतीय वन्य जीव संस्थान ने 2014 के अध्ययन में यह माना है कि इस इलाक़े में बाघ की उपस्थिति रहती है। कोरबा वन कर्मचारियों ने भी पिछले तीन वर्षों में बाघों की उपस्थिति दर्ज की है।घाटबर्रा बासेन और अजगर बहार के ग्रामीणों ने बाघ देखे जाने की सूचना दी है।यदि इस इलाक़े में उत्खनन करना है तो राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की अनुमति अनिवार्य है जो कि नहीं ली गई है। हसदेव अरण्य वह कॉरिडोर है जहां बाघ और हाथी जैसे बड़े जानवर की रिहाइश है।
नियम क्या कहता है
जिन इलाक़ों में बाघ की उपस्थिति है या कि ऐसा कोई इलाक़ा जो दो टाइगर रिज़र्व के बीच का कॉरीडोर होगा वहाँ यदि उत्खनन होना है तो राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और एनबीडब्लूएल से अनिवार्य रुप से अनुमति लेनी होगी।
हाईकोर्ट ने भी माँगा है राज्य सरकार से जवाब
हसदेव अरण्य के परसा कोल ब्लॉक में पेड़ों की कटाई और भू अधिग्रहण की ग़लत प्रक्रिया अपनाए जाने के मसले पर राज्य सरकार से जवाब माँगा है। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान जबकि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम और राजस्थान कॉलरी ( अड़ानी) के अधिवक्ता की ओर से यह जवाब दिए जाने पर कि उन्होंने कोई पेड़ नहीं काटे। हाईकोर्ट टिप्पणी की है कि यदि भुमि अधिग्रहण की प्रक्रिया गलत निकली तो क्या कटे पेड़ जीवित कर लिए जाएँगे।
राज्य सरकार को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा भेजे गए पत्र को देखने के लिए कृपया लिंक पर क्लिक करें।