बिलासपुर में केंद्रीय विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश, हाईकोर्ट ने 13 साल बाद पक्ष में फैसला

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The Sootr CG
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बिलासपुर में केंद्रीय विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश, हाईकोर्ट ने 13 साल बाद पक्ष में फैसला

BILASPUR. बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने इनमें से 98 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए आदेश जारी कर दिया है। बता दें कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी लंबे समय से दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्य कर रहे थे, जिन्हें 2008 में एक बार नियमित भी किया गया था, लेकिन तत्कालीन कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी के निर्देश पर रजिस्ट्रार ने 2010 को उन्हें दोबारा दैनिक वेतनभोगी बना दिया था। इसके खिलाफ कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।



13 साल बाद कर्मचारियों के पक्ष में फैसला आया  



बता दें हाईकोर्ट में चल रहे इस मामले में 13 साल बाद कर्मचारियों के पक्ष में फैसला आ गया है और उन्हें नियमितीकरण करने व पूर्व के नियमितीकरण की तिथि से नियमित कर्मचारी के समान सेवा लाभ देने का निर्देश छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिया है। मिली जानकारी के अनुसार विजय कुमार गुप्ता समेत 98 याचिकाकर्ता गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में राज्य यूनिवर्सिटी का दर्जा रहने के दौरान 10 वर्ष या उससे कहीं अधिक समय से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में कार्य कर रहे थे। 



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नियमित वेतनमान देने का आदेश पारित किया



इसी बीच, छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने 22 अगस्त 2008 को 10 वर्ष से लगातार काम कर रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के परिपालन में संचालक उच्च शिक्षा में भी 26 अगस्त 2008 को विभाग में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को स्ववित्तीय योजना के तहत नियमितीकरण और नियमित वेतनमान देने का आदेश पारित किया। इसके 1 माह बाद 22 सितंबर 2008 को गुरु घासीदास राज्य यूनिवर्सिटी ने अपने यहां दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत 98 कर्मचारियों का नियमितीकरण कर दिया और उन्हें नियमित वेतनमान भी मिलने लगा था। 



फैसले से दैनिक वेतन भोगी 98 कर्मचा​रियों में खुशी की लहर है



इसके बाद 2009 में जब गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया, तब यहां के प्रथम कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी बने। उनके निर्देश के बाद 10 फरवरी 2010 को तत्कालीन रजिस्ट्रार ने 22 सितंबर 2008 की तारीख से कर्मचारियों के नियमितीकरण का आदेश रद्द कर दिया। कर्मचारियों ने इसे अधिवक्ता दीपाली पांडे के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर उन्हें अब 13 साल बाद सफलता हाथ लगी है, हाईकोर्ट के फैसले से दैनिक वेतन भोगी 98 कर्मचा​रियों में खुशी की लहर है।


MP News एमपी न्यूज हाईकोर्ट का आदेश Daily wage workers in Bilaspur order to regularize order of High Court decision given in favor after 13 years बिलासपुर में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नियमित करने का आदेश 13 साल बाद दिया पक्ष में फैसला