Raipur. अरनपुर में शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए सीएम भूपेश बघेल के बयान के एक अंश पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने सीएम भूपेश से कहा है कि, जवानों की शहादत की तुलना नहीं की जाती है। सीएम भूपेश ने दंतेवाड़ा में यह कहा था कि, पहले कैंप में हमारे जवान देते थे आज लड़ते हुए शहादत हो रही है।
क्या है मसला
अरनपुर में डीआरजी के दस जवान शहीद हो गए। ये जवान नक्सल मुठभेड़ के बाद लौट रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दंतेवाड़ा में इनको श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि के ठीक बाद जबकि वे पत्रकारों से बात कर रहे थे, सीएम भूपेश बघेल ने घटनाक्रम पर कहा -
“लेकिन पहले और अब में बड़ा अंतर आया है पहले कैंपो में हमला होता था और जवान अपनी सुरक्षा करते थे आज नीति में परिवर्तन हुआ है अब हमारे जवान सज करके उनके साथ मुठभेड़ कर लड़ाई करते हैं और नक्सलियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ती है हमारे जवान कैंपो में अपनी जान नहीं दे रहे हैं बल्कि लड़ते हुए शहादत हो रही है”
सीएम भूपेश का यह बयान शहीद जवानों की वीरता के संबंध में था, लेकिन कैंप में जवान अपनी सुरक्षा करते थे और कैंपो में अपनी जान नहीं दे रहे वाली बात ने नया विषय ही ला दिया।
क्या बोले डॉ रमन सिंह
अरनपुर की घटना पर जवानों की शहादत पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का बयान सामने आया। सीएम बघेल के बयान के उस अंश को पंद्रह वर्षों तक सीएम रहे डॉ रमन सिंह के शासनकाल पर ही तंज माना गया। सलवा जुड़ूम के दौर में माओवादियों ने थाने कैंप और सलवा जुडूम शिविरों पर हमले किए थे। तब केवल बस्तर ही नहीं बल्कि उत्तर छत्तीसगढ़ के भटगांव थाने में नक्सली पूरे हथियार लूट ले गए थे। बस्तर में हुए नक्सलियों के हमले में जवानों ने शहादत दी थी। ज़ाहिर था कि डॉ रमन सिंह इस पर कहते, और उन्होंने कहा
“दंतेवाड़ा की नक्सल घटना प्रदेश के लिए बहुत ही दुःखद और कठिन समय है। छत्तीसगढ़ के ग्यारह परिवार में मातम छाया हुआ है मैं इस दुःख की बेला में मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ किसी परिवार ने अपना बेटा,किसी ने भाई, किसी ने पति खोया है। लेकिन इस शोक की समय में दुर्भाग्यजनक स्थिति यह है प्रदेश के मुख्यमंत्री राजनीति कर रहे हैं।”
डॉ रमन सिंह ने आगे कहा
“भूपेश बघेल ने शोक के समय अभी जो बात कही जो हमारे जवान लड़ते हुए शहीद हो रहे हैं पहले कैंप में बिना लड़े शहीद हो जाया करते थे। ये शहादत का अपमान है।भूपेश जी पहले भी जवान लड़ते हुए शहीद होते थे आज भी जवान लड़ते हुए शहीद हो रहे हैं। शहीदों की तुलना नहीं की जा सकती। पुलिस के शौर्य की तुलना नहीं की जा सकता और मैं आपसे यही कहना चाहता हूँ पहले और आज की स्थिति की तुलना ना करें। आज ख़्याल करें की बस्तर से सरगुजा तक नक्सल का कितना प्रभाव बढ़ा हुआ था, दिन में सरगुजा में निकलना कठिन हो जाया करता था, आज परिस्थिति में बदलाव आया है। हमारे पुलिस के जवानों के शौर्य की वजह से उनकी शहादत और हिम्मत की वजह से आज स्थिति में बदलाव आया है,और मुझे लगता है कि आज बस्तर को एक बेहतर स्थिति में ले जाने का प्रयास करें,मिलजुल कर पहल करें।”
डॉ रमन सिंह ने इन शब्दों के साथ अपनी बात ख़त्म की है
“और आज तो मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ उन शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अपनी बात कह रहा हूँ।”