ऐसी साफगोई से बात कहने वाली सरकार कहां मिलनी है, बीजेपी में तीनों महामंत्री चुनाव लड़ेंगे तो संगठन कैसे होगा दुरुस्त?

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Yagyawalkya Mishra
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ऐसी साफगोई से बात कहने वाली सरकार कहां मिलनी है, बीजेपी में तीनों महामंत्री चुनाव लड़ेंगे तो संगठन कैसे होगा दुरुस्त?

माता की चौकी और दमकता सूरज





अपना प्रदेश देवी पूजा स्थलों का प्रदेश है। शक्ति की आराधना चारों नवरात्रि तो होती ही है, पर नियमित तौर माता की चौकी तो हमेशा ही भक्तों के लिए, भक्तों के द्वारा तैयार होती है। खबरें हैं कि एक शक्ति स्थल पर माता की चौकी फिर सज गई है। मौसम की आंख मिचौली से कभी सूरज जो दब जा रहे थे वे भी प्रखरता से अब चमकने लगे हैं। वैसे भी नवरात्रि का पर्व है, माता को प्रणाम।





तो अब सीएसआर पर छक्का-चौका खेलना मुश्किल होगा? वाकई!





कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी यानी सीएसआर पर सदन में सरकार अपने ही जवाब में उलझ गई। सरकार ने बताया कि मसला केंद्र का है, सीएसआर फंड का उपयोग कैसे हो इसके लिए कोई नीति फिलहाल नहीं है, कंपनी एक्ट के तहत कार्यवाही हो सकती है। इस पर राज्य सरकार का नियंत्रण नहीं है। इस पर विपक्ष ने सवाल उठाया कि उड़ीसा ने पॉलिसी बनाई है कि इस मद का कैसे कहां खर्च होगा और राशि का मूल्यांकन कैसे होगा, आपकी नीति कहां है। सरकार ने सदन को बताया है, नीति का अध्ययन कर समुचित कार्यवाही करेंगे। सीएसआर मद को लेकर संक्षेप में ये समझिए कि नियम के अनुसार जिस जगह उद्योग है, वहां के प्रभावित गांव क्षेत्र के विकास के लिए इस मद से मूलभूत समस्याओं को दूर करने का काम होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है, दरअसल, ये खेल का वो मैदान है कि जो अधिकारी अच्छा खिलाड़ी वो उतना बेहतर गोल कर जाएगा। वैसे नेताजी लोग की तकलीफ का एक कारण ये भी है कि इस मद में उनकी सलाह की भी कोई अहमियत नहीं है।





ऐसी साफगोई से बात कहने वाली सरकार कहां मिलनी है





सरकारें चाहे जिसकी हों, लेकिन निवेश के नाम पर विदेश प्रवास और एमओयू जब विज्ञापन में परोसे जाएं तो उन पर लहालोट नहीं होना है और एमओयू के दावों के अनुरूप यदि जमीन पर उद्योग ना दिखे तो सवाल भी नहीं करना है, क्योंकि भूपेश सरकार ने विधानसभा में स्वीकारा है एमओयू तो आपसी समझ है, बंधनकारी नहीं है, कोई 5 हजार करोड़ रुपए का बोलकर 5 रुपए भी नहीं लगाया तो कुछ नहीं कर सकते। कोई नियम नहीं है। इतनी साफगोई से बोलने वाली सरकार भला मिलनी कहां है?





अजय चंद्राकर की चिंता सरकार को गंभीरता से लेनी चाहिए





तेज-तर्रार अजय चंद्राकर ने कानून व्यवस्था पर विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव पर चिर-परिचित आक्रामक तेवर से बात रखी। सरकार को चौतरफा घेरते हुए उन्होंने बताया है कि नकली नोट की गड्डी के दर तय हैं, साइबर ठगी बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ अपराधियों का अभ्यारण्य हो गया है। अजय चंद्राकर ने बताया है कि जिगोलो बनने के लिए भी आमंत्रण देकर ठगी हो रही है। हालांकि, अजय जी ने ये खुलासा नहीं किया कि, इसमें ठगी का क्या ब्यौरा है। सरकार को ध्यान देना चाहिए।





बीजेपी में तीनों महामंत्री चुनाव लड़ेंगे तो संगठन कैसे दुरुस्त होगा





बीजेपी संगठन में 3 महामंत्री हैं और तीनों चुनाव की रेस में हैं। ओपी चौधरी, केदार कश्यप और विजय शर्मा। 3 में से 2 के विधानसभा चुनाव क्षेत्र भी तय हैं, एक इलाका छांट रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि जब महामंत्री जी लोग खुद ही चुनावी रथ पर सवार हैं तो संगठन में दायित्व क्यों मिला।





मतलब मोहन भैया जिंदाबाद?





भूपेश भैया दिल्ली से लौटे तो उन्होंने बताया कि संगठन में बदलाव होगा, सब समझ गए कि निशाना किधर है। मौजूदा पीसीसी चीफ मोहन मरकाम से उनके रिश्ते छुपे नहीं हैं। एक मंत्री जी और एक सांसद जी को लेकर मान ही लिया गया कि बस अब ये अध्यक्ष बन रहे हैं। लेकिन तभी कुमारी सैलजा दीदी का बयान आया, इधर बदलाव का मसला नहीं है।





रायपुर पुलिस की कार्रवाई और विधायक जी का दावा





खालिस्तान परस्त अमृतपाल के समर्थन में निकली रैली को लेकर विधानसभा गर्म हो गई। होनी भी चाहिए थी। सीएम भूपेश ने दो टूक व्यक्तव्य दिया कि छत्तीसगढ़ में ऐसे किसी देश विरोधी गतिविधियों को ना जगह मिलेगी ना पनपने देंगे। पुलिस ने कसरत कवायद कर 4 लोगों को गिरफ्तार भी किया और माना कि अमृतपाल के समर्थन में रैली निकली थी। पुलिस को वीडियो में लोग नारे लगाते भी दिखे और इस रैली के लिए व्हाट्सएप पर जारी ऑडियो संदेश भी मिल गया। लेकिन जबकि सदन में ये बहस चल रही थी एक विधायक महोदय ने दावा किया कि वो तो खुद रैली में थे और ऐसा कोई नारा लगा ही नहीं। विधायक जी की ये बात सदन के रिकॉर्ड में दर्ज है। विधायक जी ने ऐसा क्यों कहा होगा?





सुनो भई साधो





1. ये बात कौन फैला रहा है कि राज्य में सक्रिय केंद्रीय एजेंसी ने 2 सिपाही साहब लोग का स्टेटमेंट ले लिया है और उन्होंने कुछ गंभीर बताया है?





2. जांजगीर सीट पर किस दिग्गज नेता की नजर है और वे किस दल से हैं?



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