Raipur. छत्तीसगढ़ में चुनावी साल है जिसके चलते बीजेपी और कांग्रेस के खेमों से तरकश के नए-नए तीर निकल रहे हैं। ताजा मामला बेरोजगारी भत्ते का है। सीएम भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस पर बेरोजगारी भत्ता नए वित्तीय वर्ष से दिए जाने का ऐलान किया तो पूर्व सीएम ने इसे चुनावी घोषणा करार दिया। रमन सिंह ने लिखा कि दाऊ को चुनाव सामने देख घोषणा पत्र याद आ गया। जिसके पलटवार में कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए उन्हें पनामा का सांड कह दिया है।
रमन सिंह ने लिखा कि चुनावी वर्ष में कांग्रेस को बेरोजगारों की याद आई है। यह भी बताना चाहिए कि यह भत्ता सिर्फ चुनावी साल का दिया जाएगा या फिर साल 2018 से। उधर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए सोशल मीडिया हैंडल पर लिख कि पनामा के सांड प्रदेश के पैसे को अपने बेटे और दामाद की जेब में डालता रहा। जनता के सीएम ने घोषणा पत्र में न होने के बावजूद बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान किया है।
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इसके साथ कांग्रेस ने एक पोस्टर भी पोस्ट किया और आरोप लगाया कि बीजेपी साल 2003 से लेकर 13 तक के चुनाव में बेरोजगारी भत्ते का वादा करती चली आ रही थी। जवाब में बीजेपी ने भी ट्विटर हैंडल के जरिए घोषणा पत्र का एक हिस्सा पोस्ट किया, जिसमें राजीव मित्र योजना के तहत सामुदायिक विकास और गतिविधियों से जोड़कर 2500 रुपए महीना देने का वादा किया गया था। बीजेपी ने लिखा कि हम स्वीकारते हैं कि भूपेश बघेल के अघोषित घोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता नहीं केवल ‘‘कोयला दलाली‘‘ थी।
इधर बीजेपी के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने सीएम के भाषण को पोस्ट कर लिखा कि सीएम का संबोधन दोबारा होना चाहिए। वे स्पष्ट बताएं कि बेरोजगारी भत्ता जनघोषणा पत्र के हिसाब से 2018 से दिया जाएगा या केवल चुनावी वर्ष का। उन्होंने बाद में फिर लिखा कि बजट विभागों तक पहुंचेगा तब तक आचार संहिता लग चुकी होगी।
रायपुर में बीजेपी-कांग्रेस में पोस्ट-युद्ध, रमन सिंह ने की घोषणा पत्र की टिप्पणी तो कांग्रेस ने उन्हें पनामा के सांड की संज्ञा दी
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Raipur. छत्तीसगढ़ में चुनावी साल है जिसके चलते बीजेपी और कांग्रेस के खेमों से तरकश के नए-नए तीर निकल रहे हैं। ताजा मामला बेरोजगारी भत्ते का है। सीएम भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस पर बेरोजगारी भत्ता नए वित्तीय वर्ष से दिए जाने का ऐलान किया तो पूर्व सीएम ने इसे चुनावी घोषणा करार दिया। रमन सिंह ने लिखा कि दाऊ को चुनाव सामने देख घोषणा पत्र याद आ गया। जिसके पलटवार में कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए उन्हें पनामा का सांड कह दिया है।
रमन सिंह ने लिखा कि चुनावी वर्ष में कांग्रेस को बेरोजगारों की याद आई है। यह भी बताना चाहिए कि यह भत्ता सिर्फ चुनावी साल का दिया जाएगा या फिर साल 2018 से। उधर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए सोशल मीडिया हैंडल पर लिख कि पनामा के सांड प्रदेश के पैसे को अपने बेटे और दामाद की जेब में डालता रहा। जनता के सीएम ने घोषणा पत्र में न होने के बावजूद बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान किया है।
इसके साथ कांग्रेस ने एक पोस्टर भी पोस्ट किया और आरोप लगाया कि बीजेपी साल 2003 से लेकर 13 तक के चुनाव में बेरोजगारी भत्ते का वादा करती चली आ रही थी। जवाब में बीजेपी ने भी ट्विटर हैंडल के जरिए घोषणा पत्र का एक हिस्सा पोस्ट किया, जिसमें राजीव मित्र योजना के तहत सामुदायिक विकास और गतिविधियों से जोड़कर 2500 रुपए महीना देने का वादा किया गया था। बीजेपी ने लिखा कि हम स्वीकारते हैं कि भूपेश बघेल के अघोषित घोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता नहीं केवल ‘‘कोयला दलाली‘‘ थी।
इधर बीजेपी के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने सीएम के भाषण को पोस्ट कर लिखा कि सीएम का संबोधन दोबारा होना चाहिए। वे स्पष्ट बताएं कि बेरोजगारी भत्ता जनघोषणा पत्र के हिसाब से 2018 से दिया जाएगा या केवल चुनावी वर्ष का। उन्होंने बाद में फिर लिखा कि बजट विभागों तक पहुंचेगा तब तक आचार संहिता लग चुकी होगी।