शिवम दुबे, Raigarh. रायगढ़ के बंगुरसिया गांव के धान खरीदी केंद्र में गजदल पहुंच गया और धान को खाने के साथ-साथ धान की बोरियाँ अपने साथ ले गया। अपने लिए धान का रिजर्व स्टॉक लेकर हाथियों का दल जब जंगल की ओर लौट रहा था तो किसी ने मोबाइल फोन के कैमरे में उनकी तस्वीरें कैद कर लीं। धान खरीदी केंद्र पहुंचकर धान का बोरा ले जाने का यह मसला चर्चा में है, अब धान खरीदी केंद्र में वन विभाग की एक टीम मौजूद है।
तबाह होते जंगल की वजह से भटक रहे हाथी
कभी बेहद समृद्ध जंगलों की वजह से पहचाने जाने वाले उत्तर छत्तीसगढ़ के कई इलाके विशेषकर जो हाथियों की रिहाइश के क्षेत्र थे, वे अब उजड़ गए हैं क्योंकि वहां उद्योग लगे हैं या फिर जंगल को काट-काट कर खेत में और अपनी रिहाइश में तब्दील कर लिया गया है। सरकार ने जंगल पर दशकों के कब्जे को कानूनी मान्यता देते हुए वन अधिकार पट्टे बांट दिए, लेकिन हाथी समेत कई जानवर जिनके लिए जंगल ही रिहाइश है उन्हें लेकर कोई विचार ही नहीं किया। नतीजतन हाथी समेत कई जानवर अब लगातार बस्तियों के आसपास दिखते हैं।
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घर भी छिन गया और भोजन के भी लाले पड़े नतीजे में सामने आ रहे ऐसे दिलचस्प नज़ारे
हाथी अपने ही घर से बेघर कर दिए गए। जंगल उसकी रिहाइश थी और वहीं पर उसका भोजन भी था, लेकिन अब दोनों से वे मरहूम हैं। धान, गन्ना, महुआ जैसे नए स्वाद उसे उसी जमीन पर बने खेत और घरों से मिले हैं जहां कभी हाथी का जंगल था। हाथी अपनी चकित कर देने वाली स्मरण शक्ति के साथ अपनी पुरानी जगह पर पहुंचता है लेकिन वहां उसे ना जल स्त्रोत मिलता है और ना ही उसका अपना घर यानी जंगल। वहां बस्ती मिलती है और हाथी को हमलावर और आतंकी होने का टैग।
गजराज के साथ हुई हरकत पर सटीक बैठते हैं इस गाने के बोल
रायगढ़ धान खरीदी केंद्र से धान को खाने और धान से भरा बोरे ले जाने के नजारे ने पुराने फिल्मी गीत की याद दिला दी है जिसके बोल गजराज के साथ हुई हरकत पर सटीक बैठते हैं। गीत के बोल हैं.. “जहां सच न चले वहां झूठ सही.. जहां हक़ ना मिले वहां लूट सही”।