JAGDALPUR. विश्वविख्यात बस्तर दशहरा की रस्मों में से एक बाहर रैनी हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में पूरी कर ली गई। 6 अक्टूबर (गुरुवार) देर चली इस रस्म के लिए समूचे बस्तर से ग्रामीण अपने देव विग्रह लेकर पहुंचे। परंपरा के अनुसार पूर्व राजपरिवार के सदस्य और बस्तर दशहरा समिति के लोग कुलदेवी के साथ गाजे-बाजे से कुम्हड़ाकोट पहुंचे।
माड़िया लोगों ने रथ चोरी कर इसे कुम्हड़ाकोट में छुपा दिया था
इससे पहले,5 अक्टूबर (बुधवार) की शाम भीतर रैनी विधान परंपरा के तहत माड़िया लोगों ने परंपरा के अनुरूप रथ चोरी कर इसे कुम्हड़ाकोट में छुपा दिया था। यही रथ बाहर रैनी विधान रस्म के तहत वापस लाया गया। यहां उन्होंने नातखानी की रस्म अदा करते हुए छन देवी, मां दंतेश्वरी और मावली देवी की पूजा कर लोगों के साथ नए चावल की खीर का प्रसाद ग्रहण किया। गुरुवार की शाम 5 बजे के बाद रथ वापस लाने कुम्हड़ाकोट से रथ यात्रा शुरू हुई। रथ को कोड़ेनार, बास्तानार क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने खींचना शुरू किया। इस दौरान रास्ते भर आतिशबाजी होती रही। आठ चक्कों वाले रथ को खींचने के लिए सैकड़ों ग्रामीण माता के जयकारे लगाते और पुलिस की निगरानी के बीच रथ खींचते रहे।
मुरिया दरबार में शामिल होने पहुंचेंगे सीएम
वहीं सीएम भूपेश बघेल आज (7 अक्टूबर) एक दिवसीय बस्तर प्रवास पर रहेंगे। जगदलपुर में बस्तर दशहरा की मुरिया दरबार रस्म में शामिल होंगे। इसके साथ ही जगदलपुर में संभागीय सी मार्ट शुभारंभ करेंगे। वे झाड़ा सिरहा की प्रतिमा का भी अनावरण करेंगे।
11 अक्टूबर तक चलेगा बस्तर दशहरा
75 दिनों तक मनाए जाने वाले बस्तर दशहरा पर्व का समापन 11 अक्टूबर को मावली माता की डोली की विदाई के बाद संपन्न हो जाएगा। इस पर्व में अब केवल चार विधान बचे हुए हैं। काछन जात्रा विधान के साथ मुरिया दरबार की रस्म के बाद कुटंब जात्रा विधान और फिर मावली माता की डोली की विदाई पूजा विधान होगा। इसके बाद इस डोली को जिया डेरा ले जाएगा। जहां से यह डोली दंतेवाड़ा शक्तिपीठ के लिए रवाना हो जाएगी।