Raipur. राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने स्पष्ट किया है कि, दो दिसंबर को विधानसभा में पारित आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर वे इसलिए नहीं कर रहीं हैं, क्योंकि उस विधेयक को लेकर गंभीर विधिक परिस्थितियाँ और प्रश्न है। राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने कहा है कि जबकि वे इस मसले पर तमाम प्रश्नों और विषयों से संतुष्ट हो जाएँगी तो हस्ताक्षर करेंगी।
क्या कहा राज्यपाल ने
राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने आरक्षण विधेयक के राजभवन में लंबित होने पर कारणों को विस्तार से स्पष्ट किया है। उन्होंने बेहद साफ़गोई से कहा है कि, उनके द्वारा आदिवासी वर्ग के लिए 32 प्रतिशत करने के लिए अध्यादेश लाने या कि विशेष सत्र बुलाए जाने की बात कही गई थी। यह जो विधेयक है यह तो पिछले 58 फ़ीसदी से भी ज़्यादा 76 फ़ीसदी हो गया है। राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने कहा
“मैंने केवल जनजातीय समाज के लिए सत्र बुलाने की बात कही थी। मेरे सामने अब यह प्रश्न आ गया है कि जहां 58 फ़ीसदी पर कोर्ट अवैधानिक घोषित करता है तो ये तो बढ़कर 76 फ़ीसदी हो गया है।अगर केवल आदिवासी जनजातीय समाज का ही संशोधन होता,20 से 32 तो मेरे लिए तत्काल हस्ताक्षर करने में कोई दिक़्क़त नहीं थी।”
राज्यपाल ने आगे कहा
“कल को भविष्य में फिर वही वैसी ही स्थिति हो जाएगी जो 58 फ़ीसदी वाले में हुई। मैं आज दस्तख़त करती हूँ तो तो फिर वही स्थिति हो जाएगी, तो मैं जानना चाहती हूँ कि सरकार ने क्या आधार मानकर इसका इतना आरक्षण बढ़ाया है। ये मामला फिर उलझ जाएगा तो ना SC को फ़ायदा होगा,ना OBC को,ना जनरल को और ना ही ST को।साथ में बहुत सारे समाज के लोगों ने आवेदन दिया है कि इस विधेयक पर आप जाँच करें।मैं उन आवेदनों का भी परीक्षण कर रही हूँ।एकदम बिना सोचे समझे हस्ताक्षर तो.. क्योंकि इसमें सभी लोगों ने आपत्ति लगा दी है।”
राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने क्वांटिफाएबल डाटा की जानकारी लेने की बात भी कही है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अन्य समाज का तीन फ़ीसदी किस आधार पर हुआ कौन से आँकड़े के आधार पर हुआ और ट्राइबल के रोस्टर की तैयारी की जानकारी भी ली जा रही है। राज्यपाल सुश्री उईके ने रोस्टर को लेकर कहा है कि, ये सब 2012 के हैं।