RAIPUR. कोयला परिवहन मामले में सुनवाई का दौर चल रहा है। इस घोटाले में आईएएस समीर बिश्नोई, मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी (सूर्यकांत का भाई) 11 नवंबर को फिर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। सूत्रों के मुताबिक ईडी कोर्ट से पूछताछ के लिए और समय मांग सकती है। बता दें कि बीते दिन समीर बिश्नोई, मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी (सूर्यकांत का भाई) की रिमांड को कोर्ट ने एक दिन और बढ़ा दिया था।
बीते दिन एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था
10 अक्टूबर गुरुवार को आईएएस समीर बिश्नोई, सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी को न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की विशेष अदालत में पेश किया गया, जबकि एक बजे सूर्यकांत को लाया गया। कोर्ट में लगभग पांच घंटे तक दोनों पक्ष के वकीलों के बीच बहस चली। शाम सवा पांच बजे न्यायाधीश ने चारों को एक दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था।
बचाव पक्ष के वकील ने ईडी की कार्रवाई बताई गैरकानूनी
वहीं, बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया कि ईडी ने कर्नाटक के बेंगलुरु में दर्ज जिस केस के आधार पर शिकायत दर्ज की थी, उस पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्टे दे दिया है। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कहा कि अगर मूल एफआईआर पर किसी कार्रवाई से स्टे मिल गया है तो उससे संबंधित सभी कार्रवाई रुक जानी चाहिए। इसके तहत ईडी की यह पूछताछ भी गैरकानूनी होगी। इसलिए सभी आरोपितों को तत्काल रिहा किया जाए।
आरोपितों को ना भेजा जाए जेल- वकील
बचाव पक्ष के एक और वकील विजय अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा में कहा कि सूर्यकांत तिवारी के खिलाफ बेंगलुरु में दर्ज केस मोबाइल तोड़ने और कागज खा लेने जैसे आरोपों पर है। हमने अदालत से कहा है कि इस मामले में प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग केस बनता ही नहीं है। इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट से स्टे है। जब मुख्य अपराध की जांच ही स्टे है तो ईडी कार्रवाई कैसे कर सकती है? उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस मामले में आरोपितों को जेल न भेजा जाए। अगर जेल ही भेजना है तो हाउस अरेस्ट में रख सकते हैं।