Raipur. छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस अब दिन-ब-दिन हाईटेक होती जा रही है। पुलिस के पास गुंडे-बदमाशों की छोटी से छोटी जानकारी यहां तक ब्लड ग्रुप का डेटा भी उपलब्ध है। रायपुर पुलिस पूरा डेटा डिजिटल रूप में अपने पास तो रखी है साथ ही क्रिमिनल गैलरी में भी बदमाशों की हर जानकारी मौजूद है। पुलिस अब पीड़ितों को इसी क्रिमिनल गैलरी में लाकर पहचान भी करवाती है जिससे केस जल्द ही सुलझ भी जाता है। पुलिस का कहना है कि क्रिमिनल गैलरी की मदद से कई केस सुलझा लिए गए हैं और इस क्रिमिनल गैलरी को बढ़ाने की बात भी चल रही है। जिससे ज्यादा से ज्यादा अपराधों की कम समय में जांच पड़ताल की जा सके।
किस उद्देश्य से क्रिमिनल लाइब्रेरी बनाई गई?
रायपुर साइबर पुलिस के उप पुलिस अधीक्षक दिनेश सिन्हा ने बताया है कि रायपुर पुलिस द्वारा सभी क्रिमिनल्स के डेटाबेस रखने के लिए क्राइम ऑफिस में क्रिमिनल गैलरी की स्थापना की गई है। जिसमें सभी प्रकार के क्राइम को बदमाशों के साथ अलग-अलग लेवल पर रखा गया है। हर प्रकार के क्रिमिनल चाहे वो ऑर्गनाइज्ड क्रिमिनल हो इंटरस्टेट क्रिमिनल हों नारकोटिक्स के हो उनके अलग-अलग सेक्टर में जो मोस्ट वांटेड अपराधी रहे हैं। बहुत सारे अपराध में संलिप्त रहे हैं ऐसे लोगों का डेटाबेस के साथ इनकी फोटो के साथ नामजद करके क्रिमिनल गैलरी में चस्पा किया गया है। नए क्राइम होते हैं तब उसका उपयोग किया जाता है। इसको स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि कभी भी किसी प्रकार का अपराध घटित होता है और जो अपराध से मिलते जुलते हैं उनका तत्काल वेरिफिकेशन हो सके।
बाहरी बदमाशों को पहचानने में मदद..
साइबर पुलिस के उप पुलिस अधीक्षक दिनेश सिन्हा का कहना है कि इस गैलरी में बाहरी बदमाशों के डिटेल शामिल हैं जो दूसरी जगह से आकर यहां घटना को अंजाम देते हैं। साथ ही साथ इंटरस्टेट क्रिमिनल है और हमारे जिले में अपराध घटित करता है या सीमावर्ती जिले में अपराध करता है तो वहां भी आइडेंटिफिकेशन के लिए इंटरस्टेट टीम आती है। अन्य राज्य के क्रिमिनल है जो बड़े-बड़े अपराधों में शामिल रहे हैं उनका भी एक डेटाबेस तैयार किया गया है। रायपुर पुलिस के पास एक वर्चुअल डेटाबेस भी है जिसमें हर प्रकार के आरोपीयों का डेटा रखा जा रहा है। ताकि पुलिस सिंगल क्लिक में आरोपी को सर्च कर सके कि वह वर्तमान में कितने अपराधों में रहा है? किस मामले में, किस स्टेट में, किस थाने में, किस वारदात में संलिप्त रहा है।
बदमाशों की ब्लड ग्रुप तक का डेटा उपलब्ध
दिनेश सिन्हा का कहना है कि संपत्ति संबधित अपराधी में पुलिस आरोपी के बायोमाट्रिक्स को प्रिजर्व करते हैं। सामान्य अपराधों में भी पुलिस अपराधी की बेसिक जानकारी रखती है। पुलिस के पास पुराने बदमाशों की सभी जानकारी यहां तक की ब्लड ग्रुप डेटा भी उपलब्ध है। इसके साथ साथ पुराना पता, नया पता भी रखते हैं ताकि हमे उन तक पहुंचने में आसानी हो। पुलिस कार्यप्रणाली में एक रजिस्टर होता है जिसमें सभी अपराधों का विवरण होता है। पुलिस को अपराधी या किसी आपराधिक घटना की जानकारी चाहिए होती है। यदि कोई क्रिमिनल किसी नए मामले में मिला हुआ है तो जरूर पुलिस पीड़ित को यहां लाकर इस गैलरी में लाकर पहचान करवाते हैं इससे आरोपी तक पहुंचने में आसानी होती है।