Raipur. आरक्षण विधेयक पर अब तक मौन शांत राजभवन ने तेवर दिखाए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तल्ख़ तेवरों और तीखी टिप्पणियों के मुक़ाबले राजभवन के शब्द बेहद संयत संतुलित हैं लेकिन उनकी ध्वनि गंभीर है।राजभवन ने भूपेश सरकार द्वारा भेजे गए जवाबों को एक तरह से ख़ारिज कर दिया है। राजभवन ने विधिक सलाहकार राजभवन और राज्यपाल को लेकर की गई टिप्पणियों और बयानबाज़ी पर भी बात रखी है।यह पत्र प्रिंटेड है और व्हाटसएप पर मीडिया को उपलब्ध कराया गया है। इस पत्र में कोई लेटरपेड का उपयाेग नहीं है और ना ही नीचे जारीकर्ता के हस्ताक्षर अथवा पदमुद्रा है,लेकिन जिस स्त्रोत से यह प्राप्त हुआ, उसकी वजह से इसे राजभवन से जारी कहा तथा बोला एवं पढा जा रहा है।
क्या कहा है राजभवन ने
राजभवन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस से जुड़े अन्यान्य द्वारा की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया से बात की शुरुआत की है। राजभवन ने इन शब्दों के साथ विषय पर पक्ष रखा है
“आरक्षण विधेयक पर राजभवन एवं राज्यपाल के विरूद्ध हो रही स्तरहीन बयानबाज़ी के संबंध में तथ्य एवं स्थिति”
राजभवन से जारी पत्र जो कि मीडिया को भेजा गया है उसमें यह स्पष्ट किया गया है कि, जो दस प्रश्न विधेयक को लेकर राज्य सरकार से किए गए थे, उसका जो जवाब राज्य सरकार ने राजभवन भेजा है उसमें प्रश्नों के जवाब नहीं है। ना तो मात्रात्मक विवरण है और ना ही विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियों का ब्यौरा है जिसके आधार पर पचास फ़ीसदी से आरक्षण बढ़ाया जा सकता है।अजा और अजजा के लोग किस तरह से सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक स्तर पर पिछड़े हुए हैं इसका ब्यौरा भी उपलब्ध नहीं कराया गया है।संशोधित अधिनियम को लेकर विधि विधायी विभाग का अभिमत भी प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अधिनियम को लेकर एक प्रश्न यह भी
राजभवन से जारी पत्र में यह भी उल्लेखित है कि,आरक्षण संशोधन विधेयक 2002 दरअसल छत्तीसगढ़ लोक सेवा ( अनुसूचित जातियों,अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों और आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम 1994 कहलाएगा।लेकिन विधि अनुसार यह संभव नहीं है अर्थात् जब तक विधानसभा द्वारा उक्त अधिनियम 1994 के शीर्षक में भी संशोधन नहीं किया जाता है तब तक अधिनियम का नाम राज्यपाल के अनुमोदन के पश्चात भी परिवर्तित नहीं होगा।
राजभवन को नहीं मिली है क्वांटिफाईल डाटा आयोग की रिपोर्ट
राजभवन से जारी सूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि, क्वांटिफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन को नहीं दी गई है। उल्लेखनीय है कि खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह दावा किया था कि, क्वांटिफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन को भेजी जा चुकी है।
विधिक सलाहकार पर टिप्पणी का भी जवाब दिया
राजभवन से जारी पत्र में जिस विषय से शुरुआत की गई है वह मसला विधिक सलाहकार के विरुध्द टिप्पणी शीर्षक से प्रकाशित है। इस शीर्षक के अंतर्गत लिखा गया है
“राजभवन के विधिक सलाहकार जो कि न्यायिक सेवा के ज़िला जज स्तर के हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त होते हैं, उनके विरुद्ध टिप्पणी करना,राजभवन के अधिकारियों कर्मचारियों के बारे में बोलना उपयुक्त नहीं है।”
प्रेशर पॉलिटिक्स शुरु
राजभवन से जारी पत्र जिसमें विस्तार से बिंदुसार ब्यौरा है वह देर शाम जारी हुआ। पर इसके पहले कांग्रेस संगठन और सत्ता के तेवर लगातार तल्ख़ बने रहे। सीएम बघेल ने राज्यपाल और राजभवन पर फिर तीखी टिप्पणी की, साथ ही पीसीसी चीफ़ मोहन मरकाम ने आगामी तीन जनवरी को रायपुर में आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर करने की माँग के साथ विशाल रैली निकालने की बात कही। बताया गया है कि, इस रैली में आदिवासी वर्ग के लोगों की उपस्थिति रहेगी। वहीं बस्तर के कोंडागांव नारायणपुर इलाक़े में पिछड़ा वर्ग मंच के ज़रिए रैली और चक्का जाम किया गया। पिछड़ा वर्ग ने इस प्रदर्शन के ज़रिए राज्यपाल पर विधेयक पर हस्ताक्षर करने की माँग की है।
राजभवन की ओर से जारी पत्र आप लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं