Raigarh । किसी दौर में एकीकृत मध्यप्रदेश को तेरह दिनाें का मुख्यमंत्री देने वाला सारंगढ़ का गिरी विलास पैलेस आज फिर सुर्खियाें में है। पैलेस की ओर से एक शिकायत थाने में दी गई है जिसमें यह लिखा गया है कि, महल के उपर सारंगढ़ पैलेस का झंडा गायब है और उसके स्थान पर एक भगवा झंडा लहरा रहा है। सारंगढ़ स्टेट का झंडा चोरी हो गया है,जिसकी कीमत पांच सौ रूपए है। सारंगढ़ थाने में यह शिकायत राजा पुष्पादेवी सिंह की ओर से पैलेस नाजिर भरत कटकवार ने दी है। इस शिकायत पर पुलिस ने देर शाम अज्ञात के विरूद्व धारा 457 और 380 का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
सारंगढ़ का गिरी विलास पैलेस रियासताें के विलीनीकरण के बाद भी लंबे अरसे तक राजनीति में वजनदार दखल रखता था।सारंगढ़ पैलेस के नरेश चंद्र सिंह अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, हालांकि यह अवधि केवल तेरह दिनों की थी। नरेश चंद्र सिंह की बिटिया श्रीमती रजनी गंधा देवी और श्रीमती पुष्पा देवी सांसद जबकि श्रीमती कमला देवी मध्यप्रदेश विधानसभा में 18 साल सदस्य रही हैं। श्रीमती कमला देवी मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। हालांकि फिलहाल इस पैलेस को एक लंबे वक्त से सियासत में उसी ठौर की तलाश है, जो कि फिलहाल नही है। इस पैलेस से राजनैतिक सक्रियता जरूर कुलिषा मिश्रा की है, जो नरेशचंद्र सिंह की पोती हैं,वे कांग्रेस संगठन में सक्रिय हैं, पर गिरी विलास पैलेस को जिस जगमग सियासती आभा की तलाश है,वह फिलहाल पैलेस को मुहैया नही है।
लेकिन अब गिरी विलास पैलेस फिर चर्चाओं में है,वजह वही आवेदन है, जिसमें सारंगढ़ स्टेट का झंडा चाेरी जाने और वहां पर भगवा झंडा लगाए जाने की शिकायत लिखी गई है। गिरी विलास पैलेस के जिस जगह पर झंडे का यह मसला है वह इतना उंचा और पहुंच मार्ग इतना जटिल सा है कि, इस शिकायत जो कि अब एफआईआर में तब्दील है, के बारे में जानकर लोग अंचभित हैं। इस घटनाक्रम को लेकर डॉ परिवेश मिश्रा ने एक फेसबुक पोस्ट शेयर किया है, जिसे किन्ही विनयशील ने लिखा है और डॉ परिवेश मिश्रा की बिटिया कुलीशा मिश्रा जो कि युंका में राष्ट्रीय संयुक्त सचिव हैं,उसमें टैग हैं। उस पोस्ट में लिखा गया है −
कल रात मध्य प्रदेश के एकमात्र आदिवासी मुख्यमंत्री नरेश चन्द्र सिंह जी के निवास पर चोरी से घुसकर बीजेपी के गुंडों ने आदिवासी प्रतीक का झंडा उतार कर फेंक दिया और उनके महल पर भगवा झंडा फहरा दिया.सारंगढ़ में यह उस आदिवासी परिवार का घर है जिसके कई सदस्य विधान सभा और संसद में रहे हैं। आरएसएस और बीजेपी की आदिवासियों से नफरत का आलम ये है कि बिना अनुमति उनके घर घुसकर ऐसा करने की हिमाकत की गई है।संघ और उसके अनुषांगिक संगठन लगातार आदिवासी समाज के प्रतीकों और देवगुड़ी पर इसी तरह जबरन कब्जा करने में लगे हुए हैं. कहीं झण्डा बदलकर, कहीं बाहरी लोगों का प्रवेश करवा कर आदिवासी सांस्कृतिक पहचान और नेतृत्व को खत्म करने में लगे हुए है।सरगुजा के क्षेत्र में ऐसी ही प्रयास कुदरगढ़ में चेरवा आदिवासी समाज की कुदरगढ़ी देवी और गोंडो की मंगरैल देवी के स्थल पर भी किया जा रहा है। जहाँ आदिवासी समाज लड़ाई लड़ रहा है।
इस मामले से गिरी विलास पैलेस एक बार फिर सुर्खियाें में तो आ ही गया है। इधर पुलिस के डॉग स्क्वायड भेजा है,जिससे कि यह पता करने की कवायद की जाएगी कि,आखिर सारंगढ़ के गिरी विलास पैलेस के इतने उंचे छोर पर कौन सुविधा से पहुंच गया और सारंगढ़ स्टेट के झंडे को उतार कर भगवा झंडा लगा रवाना हो गया है।