आरक्षण संशोधन विधेयक रोकने पर राज्यपाल अनुसुईया उईके के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल

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The Sootr CG
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आरक्षण संशोधन विधेयक रोकने पर राज्यपाल अनुसुईया उईके के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में  याचिका दाखिल

BILASPUR. आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल अनुसुईया उईके के बीच विवाद तो चल ही रहा था। अब इस मामले में राज्यपाल के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर कर दी गई है। जी हां, अधिवक्ता हिमांग सलूजा ने ये याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने कहा है कि आरक्षण विधेयक रोकना संविधान का उल्लंघन है।



विधेयक को लेकर सही ढंग से पक्ष नहीं रखने का आरोप लगाया



आपको बता दें कि बीजेपी के दौर में राज्य सरकार ने आरक्षण को बढ़ाकर 58 प्रतिशत कर दिया था। इसकी वैधानिकता को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में इस कानून को संविधान के विपरीत माना था, जिसके बाद ये कानून अमान्य हो गया। ऐसे में राज्य सरकार ने जहां पूर्ववर्ती सरकार पर इस कानून को लेकर सही ढंग से पक्ष नहीं रखने का आरोप लगाया। साथ ही नए सिरे से आरक्षण संशोधन को लेकर विधेयक विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित कर पेश किया। फिर इसे पारित भी करा लिया गया।



राज्यपाल ने कहा- सरकार के पास क्या तर्क 



इसके बाद इसे कानून का रूप देने के लिए राज्यपाल का हस्ताक्षर कराने राजभवन भेजा गया। मौजूदा विधेयक में कुल आरक्षण बढ़ाकर 76 प्रतिशत कर दिया गया है। ऐसे में राज्यपाल अनुसुईया उईके ने सवाल उठाए कि सरकार ये बताए कि यदि इसे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो सरकार के पास क्या तर्क है। वह कैसे इस कानून का बचाव कर पाएगी। इसके साथ ही कई और बिंदुवार सवाल ​थे, जिनका जवाब भी राज्य सरकार की ओर से दिया गया। 



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विधेयक पर राज्यपाल ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किए



इसके बाद भी विधेयक पर राज्यपाल ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किया है। इससे प्रदेश में आरक्षण का मामला अब भी लटका हुआ है। साथ ही विभिन्न पदों में नई भर्ती, पदोन्नति, सीटों का आवंटन समेत कई मामले फंस गए हैं। प्रतियोगी परीक्षाएं भी इसके चलते रोक दी गई हैं। इन सबके बीच अब राज्यपाल के खिलाफ इसे लेकर याचिका भी दायर हो गई है।



ये दिया गया है तर्क



अधिवक्ता हिमांग सलूजा ने कोर्ट के समक्ष जो तर्क दिया है उसमें उन्होंने कहा है कि चूंकि विधानसभा जनता की ओर से चुने गए प्रतिनिधियों का है। उनके फैसले को राज्यपाल द्वारा रोकना संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है। इसी आधार पर उन्होंने इसे लेकर जनहित याचिका दायर की है। फिलहाल कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि कब तय की है आदि के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।


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