याज्ञवल्क्य मिश्रा, Bilaspur. छजका अध्यक्ष अमित जोगी की पत्नी श्रीमती ऋचा जोगी के खिलाफ मुंगेली थाने में दर्ज एफ़आइआर पर जोगी परिवार को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने श्रीमती ऋचा जोगी को इस मामले में अग्रिम ज़मानत दे दी है। श्रीमती ऋचा जोगी के खिलाफ 16 नवंबर 2022 को मुंगेली थाने में सामाजिक प्रस्थिति प्रमाणीकरण अधिनियम 2013 की धारा 10 तथा धारा 419,420 के तहत अपराध दर्ज किया गया था।
मरवाही उप चुनाव से उपजा मसला
अजीत जोगी के असामयिक निधन के बाद मरवाही में उप चुनाव घोषित हुए। हर सूरत में जीत की ज़िद लिए भूपेश सरकार ने सारे संसाधन झोंक दिए थे। नामांकन के ठीक पहले अमित जोगी और फिर उनकी पत्नी श्रीमती ऋचा जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया। यह बताया गया कि,अजा वर्ग का जाति प्रमाण पत्र ग़लत तरीक़े से बनाया गया। इस मामले में पहले सामाजिक प्रस्थिति प्रमाणीकरण अधिनियम 2013 की धारा 10 के तहत मुंगेली थाने में FIR हुई और फिर उसमें धारा 419 और धारा 420 जोड़ दी गई। इस मामले को श्रीमती ऋचा जोगी एवं जोगी परिवार ने राजनैतिक षड्यंत्र करार दिया था।
हाईकोर्ट ने दी अग्रिम ज़मानत
इस मामले में श्रीमती ऋचा जोगी की अग्रिम ज़मानत हाईकोर्ट में लगाई गई थी।श्रीमती ऋचा जोगी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह और विवेक शर्मा उपस्थित हुए थे। जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच में बचाव पक्ष ने एफ़आइआर को विधिक रुप से दूषित बताते हुए तर्क देते हुए कहा
“सेक्शन 10/2003 (कैट) के अनुसार प्राधिकृत अधिकारी की रिपोर्ट पर ही मामले का संज्ञान लिया जा सकता है।रुल23(3) में हाईपॉवर कमेटी ने कलेक्टर को प्राधिकृत किया था,लेकिन एफ़आइआर कलेक्टर ने नहीं बल्कि सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा लिखाई गई। एफ़आइआर विधिक रुप से दूषित है।”
हाईकोर्ट ने बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं के तर्क से सहमति देते हुए श्रीमती ऋचा जोगी को प्रकरण में अग्रिम ज़मानत दे दी है।