DONGARGARH. इस महीने के 22 मार्च से चैत्र नवरात्र शुरू होने वाला है। इससे पहले मां बम्लेश्वरी मंदिर को सजाया जा रहा है। डोंगरगढ़ में स्थित माता की मूर्ति के ऊपर मंदिर के गर्भगृह की दीवारों को दान में मिले तीन किलोग्राम सोने से सजाया गया है। इसमें राजस्थान के जयपुर के कलाकारों ने कलाकृतियां उकेरी हैं। बताया गया कि इस काम में जयपुर के बीस कारीगरों की टीम लगी थी, जिन्होंने 19 दिन में इस सजावट को पूरा किया। इसके लिए कारीगरों को मंदिर ट्रस्ट सात लाख रुपए का भुगतान करेगी।
इम्पोर्टेट कैरेमिक कोटेट पेंट का उपयोग
ट्रस्टी संजीव गोमास्ता के अनुसार उभारदार आकृति के लिए इम्पोर्टेट कैरेमिक कोटेट पेंट का उपयोग किया गया है। इस कलाकृति का उपयोग राजस्थान के ऐतिहासिक इमारतों में किया गया है। उसी तर्ज पर मां बम्लेश्वरी मंदिर में इस तरह का प्रयोग पहली बार ट्रस्ट ने किया है। जानकारी के अनुसार मां बम्लेश्वरी मंदिर में साज-सज्जा का काम चल रहा है। सोने की नक्काशी का काम राजस्थान से आए 20 कारीगरों ने किया है। मंदिर गर्भगृह में प्रवेश के दौरान कारीगरों ने भी पुजारियों की तरह धोती धारण करके ही काम पूरा किया है। निर्माण लगभग पूर्ण होने वाला है। आगामी चैत्र नवरात्र तक मंदिर का नया परिवेश दर्शन के लिए भक्तों के लिए तैयार हो जाएगा।
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मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का 2200 साल पुराना है इतिहास
मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास 2200 वर्ष पुराना है। प्राचीन समय में डोंगरगढ़ वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। मां बम्लेश्वरी को राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी कहा जाता है, जो मध्यप्रदेश में उज्जैन के एक प्रतापी राजा थे। इतिहासकारों और विद्वानों ने इस क्षेत्र को कल्चुरी काल का पाया है। मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं, जिन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। मां को मंदिर में बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।