Raipur. छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामला जिसमें कि ईडी ने IAS समीर बिश्नोई, लक्ष्मीकान्त तिवारी और कोयला व्यवसायी सुनील अग्रवाल तथा कोयला घोटाला के किंगपिन कहे जा रहे सूर्यकांत तिवारी को गिरफ़्तार किया है। उस मामले में निलंबित IAS समीर बिश्नोई की ओर से दायर ज़मानत याचिका विशेष अदालत ने ख़ारिज कर दी है। निलंबित IAS समीर बिश्नोई की ज़मानत याचिका का ईडी ने ज़बर्दस्त विरोध किया था।
इन वजहों के साथ ED ने दर्ज कराई आपत्ति
प्रवर्तन निदेशालय के आरोपी और न्यायिक हिरासत में केंद्रीय कारागार में मौजूद IAS समीर बिश्नोई की ओर से यह तर्क दिया गया कि, मूल अपराध में बतौर अभियुक्त मेरा ( समीर बिश्नोई) का नाम नहीं है, साथ ही मूल अपराध ( कर्नाटक पुलिस द्वारा दर्ज FIR जिसमें सूर्यकांत तिवारी व सहयोगियों के खिलाफ अपराध दर्ज है ) की विवेचना पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
प्रवर्तन निदेशालय ने इस याचिका का विरोध किया। ईडी के अधिवक्ता साैरभ पांडेय ने कोर्ट से कहा
“अभियुक्त के पास से स्वर्ण, हीरे जप्त हुए हैं। PMLA की धारा 50 के तहत कथन में बिश्नोई यह बताने में असफल रहे हैं कि इन संपत्तियों और उन्हें हासिल करने का ब्यौरा क्या है। समीर बिश्नोई ही वह मुख्य व्यक्ति है जिसने डीओ की प्रक्रिया को ऑनलाइन से मैन्युअल कर दिया, जिससे घोटाला हो पाया।”
रायपुर कोर्ट ने इस मामले में ईडी के तर्कों से सहमत होते हुए अभियुक्त समीर बिश्नोई की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है। अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा है कि, अपराध गंभीर प्रकृति का है, अभियुक्त की संलिप्तता स्पष्ट दिख रही है।