RAIPUR. छत्तीसगढ़ का कोयला घोटाला जिसमें प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार सत्ता से जुड़े प्रभावशाली लोग और प्रशासनिक अधिकारी कथित रुप से शामिल हैं। उस कोयला घोटाले के किंगपिन सूर्यकांत तिवारी को ईडी ने कोर्ट से गिरफ्तार कर लिया है। सूर्यकांत तिवारी ने दोपहर को रायपुर कोर्ट में अधिवक्ता फैजल रिजवी के साथ पहुंचकर सरेंडर कर दिया था। इस दौरान सूर्यकांत तिवारी ने अदालत को आवेदन सौंप कर खुद को पाक साफ व्यवसायी बताया है।
12 दिन की रिमांड पर सूर्यकांत
अदालत को दिया सूर्यकांत तिवारी का आवेदन व्हाट्सएप पर वायरल है। कोर्ट से ईडी ने सूर्यकांत तिवारी की 14 दिन की रिमांड मांगी थी, अदालत ने 12 दिन की रिमांड मंजूर की है। सूर्यकांत तिवारी ने ईडी की हिरासत में जाते हुए मीडिया से कहा है कि उसे जान का खतरा है। लेकिन उसने ये स्पष्ट नहीं किया कि ये जान का खतरा उससे किससे है, क्यों है और उसे कैसे पता चला।
आत्मसमर्पण की कवायद ने खड़े किए सवाल
प्रवर्तन निदेशालय की टीम जिस कोयला घोटाले की जांच कर रही है और कोर्ट को लगातार ये बता रही है कि कोयला घोटाले का किंगपिन सूर्यकांत तिवारी है, उसके आत्मसमर्पण ने चौंकाया भी है और सवाल भी खड़े किए। सूर्यकांत तिवारी का जिक्र भले प्रवर्तन निदेशालय लगातार कर रहा था लेकिन उसने कोई समंस जारी नहीं किया था। सूर्यकांत को लेकर कोर्ट में पेश ईडी का रिमांड पत्र जितने बार जिक्र कर रहा था उतनी कवायद उसे खोजने में ईडी करते कतई नहीं दिखी थी। लिहाजा सूर्यकांत तिवारी ने कोर्ट की शरण क्यों ली ये सवाल मौजूद है। कोर्ट में ईडी के वकीलों ने बताया है कि ED की कार्रवाई जो कि PMLA के तहत की जाती है उसमें आत्मसमर्पण की भूमिका नहीं होती। प्रवर्तन निदेशालय ने उसे कोर्ट से गिरफ्तार किया और रिमांड पर ले लिया।
सूर्यकांत का कोर्ट को सौंपा पत्र जो वायरल है
सूर्यकांत तिवारी का कोर्ट को सौंपा पत्र, व्हाट्सएप पर वायरल कराया जा रहा है। इस पत्र में खुद को पाक साफ व्यवसायी बताते हुए सूर्यकांत ने कहा है कि वह इस जांच में खुद उपस्थित होना चाहता है। कोर्ट को पेश आवेदन पत्र जो कि वायरल कराया जा रहा है उसमें सूर्यकांत तिवारी ने डॉ. रमन सिंह और अडानी का जिक्र किया है। ये दावा भी किया है कि पूर्व में आयकर विभाग को भी उसने सहयोग प्रदान किया था। लेकिन सूर्यकांत तिवारी ने पत्र में ये भी लिखा है कि प्रकरण राजनैतिक रूप से प्रेरित है। पत्र में सूर्यकांत तिवारी ने दो दस्तावेज लगाए हैं जो डॉ. रमन सिंह के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्विट के स्क्रीन शॉट हैं।
सूर्यकांत तिवारी ने पत्र में लिखा है कि उसे न्यायिक हिरासत में जेल में रखा जाए और वहीं उससे वकील की मौजूदगी में पूछताछ हो, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी पूछताछ के दौरान उसके साथ थर्ड डिग्री बर्ताव करेंगे। सूर्यकांत तिवारी के आवेदन में लिखा है -
“आवेदक 20 वर्षों से व्यवसाय कर रहा है, तथा पूर्व राज्य शासन से भी आवेदक के अच्छे संबंध थे। आवेदक अडानी समूह के लिए ट्रांसपोर्ट का कार्य कर रहा है और उसी से आय अर्जित कर रहा है। आयकर विभाग द्वारा की गई रेड कार्रवाई के दौरान आवेदक द्वारा पूर्णतः रूप से सहयोग प्रदान किया गया था। वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही जांच में भी आवेदक द्वारा पूर्णतः सहयोग प्रदान करने को इच्छुक है। आवेदक को पूर्ण विश्वास है कि वह उसके द्वारा वैधानिक रुप से अर्जित की गई संपत्ति का विवरण प्रवर्तन निदेशालय को देने में सक्षम है। परंतु राजनैतिक रूप से प्रेरित इस प्रकरण में आवेदक की सच्चाई को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी लेखबद्ध नहीं करेंगे, इसलिए आवेदक माननीय न्यायालय से न्याय की कामना करता है।”
सूर्यकांत तिवारी के पत्र में आगे लिखा गया है
“प्रवर्तन निदेशालय ने उपरोक्त प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। यह राजनीति से प्रेरित है, क्योंकि राजनैतिक लाभ उठाने के उद्देश्य से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सोशल मीडिया में बयान देते आ रहे हैं, और षड़यंत्र उपरांत ही यह प्रकरण प्रवर्तन निदेशालय से पंजीबद्ध कराया गया है।”
सूर्यकांत ने मीडिया से कहा मुझे जान का खतरा
जबकि ईडी ने उसे गिरफ्तार किया और रिमांड पर ले जाने लगी तो सूर्यकांत तिवारी ने बड़ी सहजता से मीडिया के सवालों को सुना और कहा कि उसे जान का खतरा है और न्याय पालिका पर भरोसा है।
विधि के जानकार कहते हैं
विधि के जानकार सूर्यकांत तिवारी के आत्मसमर्पण को आने वाले समय में लाभ मिलने वाली कवायद मान रहे हैं। विधि के जानकारों के अनुसार आने वाले समय में यदि सूर्यकांत गंभीर परेशानी में नहीं फंसे तो जमानत के समय उन्हे सुविधा हो सकती है क्याेंकि सूर्यकांत तिवारी ये बता पाने में अब प्रामाणिक रूप से सफल हैं कि उन्होंने खुद से अदालत में समर्पण किया। वो भी तब जबकि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उन्हे खाेजने या तलाशने की हरकत नहीं हो रही थी।