याज्ञवल्क्य मिश्रा, RAIPUR. कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के हवाले से ईडी की कार्रवाई रोके जाने की मांग को लेकर चल रही बहस पर रायपुर कोर्ट ने फैसला दे दिया है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उपस्थित वकील सौरभ पांडेय ने कोर्ट के सामने प्रकृति के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय रखे, साथ ही कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दिए गए स्थगन को लेकर विधिक स्थिति को स्पष्ट करते हुए आग्रह किया कि कर्नाटक हाईकोर्ट के स्थगन को जिस नजरिए से प्रस्तुत किया जा रहा है, यह वैसा मसला नहीं है। करीब डेढ़ घंटे से अधिक समय की बहस के बाद कोर्ट ने इस मामले में ईडी की कार्रवाई को रोके जाने का आवेदन खारिज कर दिया। इसके मायने यह हैं कि ईडी की कार्रवाई जारी रहेगी।
यह थे तर्क
बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी का तर्क था कि जिस प्रकरण को आधार बना कर ईडी ने PMLA की कार्रवाई शुरू की है, उसे कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्टे कर दिया है। लिहाजा ईडी को भी कार्रवाई से रोका जाना चाहिए और जो अभियुक्त हिरासत में हैं उन्हें छोड़ा जाना चाहिए। इस तर्क के समर्थन में षड़मुगम प्रकरण और मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का दृष्टांत दिया गया। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने आज इस पर जवाब और तर्क प्रस्तुत किया। ईडी की ओर से कहा गया कि किसी केस में स्थगन का अर्थ ईडी को कार्रवाई से रोका जाना नहीं है। मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए ईडी की ओर से तर्क दिया गया कि कर्नाटक हाईकोर्ट का स्टे यह नहीं कहता कि एफआईआर गलत है, वह कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं करता। एक पार्टी (आयकर) के उपस्थित ना होने पर अगली तिथि तक के लिए अंतरिम रोक है।
कोर्ट ने दिया फैसला
रायपुर कोर्ट ने ईडी के तर्कों पर सहमति देते हुए ईडी की कार्रवाई रोके जाने के आवेदन को खारिज कर दिया और शेष अभियुक्तों को जेल भेज दिया।