BILASPUR. भिलाई के व्यापारी से 20 लाख रुपए की उगाही के मामले में दर्ज एफआईआर पर पूर्व एडीजी जीपी सिंह को हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने और पुलिस की कार्रवाई पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के मुताबिक मामले में चालान पेश हो गया है, इसलिए ट्रायल जरूरी है।
शासन के इशारे पर फंसाने का आरोप लगाया था
दूसरी ओर याचिका में पूर्व एडीजी ने शासन के इशारे पर फंसाने का आरोप लगाया था। साथ ही कहा गया कि किसी भी लोक सेवक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने से पहले कानूनी राय लेने के साथ ही नियुक्तिकर्ता अधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक है। जीपी सिंह के खिलाफ अपराध दर्ज करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति तक नहीं ली गई है।
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दुर्ग जिले में दर्ज हुई थी एफआईआर
दरअसल, निलंबित एडीजी सिंह के खिलाफ दुर्ग जिले में एक एफआईआर दर्ज हुई थी। इसमें सिंह और उनके साथियों पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यवसायी को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देकर उससे 20 लाख रुपए वसूले और फिर धमकी भी दी। स्मृति नगर चौकी में यह एफआईआर दर्ज हुई और जांच के बाद मामले को सुपेला थाने में ट्रांसफर किया गया।
20 लाख एडवांस के तौर पर वसूले गए थे
एफआईआर में बताया गया है कि व्यापारी का कुछ लेन-देन का विवाद था, लेकिन साझेदार ने पैसे दबा दिए, तब रायपुर में जीपी सिंह नियुक्त थे। कथित तौर पर जीपी सिंह की साझेदारी आरोपी के साथ थी, जिसकी वजह से व्यापारी को पैसे तो नहीं मिले मगर फर्जी केस में फंसा दिया गया। इस दौरान व्यापारी की पत्नी और परिजनों से केस कमजोर करने के एवज में एक करोड़ रुपए की डिमांड की गई और 20 लाख रुपए एडवांस के तौर पर वसूले गए थे।
दो याचिकाएं अलग-अलग दायर की थी
आईपीएस सिंह ने हाईकोर्ट में अलग-अलग दो याचिकाएं दायर की थी। इन याचिकाओं में रायपुर में दर्ज राजद्रोह के साथ ही भिलाई में भयादोहन के मामले में की गई एफआईआर को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया कि साल 2016 में की गई शिकायत को आधार बनाकर उनके खिलाफ भयादोहन का केस गलत तरीके से दर्ज किया गया है। राज्य शासन के इशारे पर फंसाया जा रहा है। याचिका में एफआईआर को निरस्त करने की मांग की गई थी। साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग थी।