RAIPUR. कोदो, कुटकी, सावा, ज्वार, बाजरा, रागी आदि पोषक अनाजों को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया है। इस बार गणतंत्र दिवस 2023 की परेड में भी कोदो कुटकी की झांकी दिखाई गई। यह इतना बताने के लिए काफी है कि इन मिलेट्स का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिहाज से कितना जरूरी है।
इसे मोटा अनाज या मिलेट भी कहते हैं
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की विशेष फसल कोदो-कुटकी, मधुमेह और अस्थमा सहित अनेक रोगों के रोगियों के लिए उत्तम आहार साबित हुआ है। इसे मोटा अनाज या मिलेट भी कहते हैं। डॉक्टर और पोषण विशेषज्ञ दोनों ही आपके आहार में मिलेट्स खाने की सलाह देते हैं। ये कई तरह के पोषक तत्वों और फाइबर से भरपूर होते हैं।
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उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं
भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार मोटे अनाज को बोलचाल की भाषा में मिलेट कहा जाता है। इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। जिले की कार्य योजना बाजरा 2023 के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष का जश्न मनाने के लिए निर्धारित की गई थी।
मिलेट में क्या-क्या मिलता है
पहाड़ी क्षेत्रों में उगाई जाने वाली सघन मोटे अनाज वाली फसलों में मैग्नीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जिनमें फाइबर, प्रोटीन, बी-कॉम्प्लेक्स और अमीनो एसिड शामिल हैं। कई दवा कंपनियां इन फसलों का उपयोग मल्टीविटामिन पाउडर के रूप में करती हैं। शोध से पता चला है कि बाजरे के सेवन से मधुमेह, अस्थमा, कैंसर, हार्ट अटैक आदि बीमारियों से बचाव होता है।
भारत में करीब 3000 सालों से कोदो की खेती हो रही है
एक्सपर्ट बताते हैं कि यह मोटे अनाज पोषण के मामले में गेहूं और चावल से कहीं ज्यादा रिच हैं। जनरल ऑफ ग्रीन प्रोसेसिंग एंड स्टोरेज नामक पत्रिका में एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश हुई। इसमें कोदो मिलेट के बारे में बताया गया कि भारत में करीब 3000 सालों से कोदो की खेती हो रही है।